मई में कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत? एक क्लिक में जानें सही तिथि और पूजा विधि

धर्म { गहरी खोज } :सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बहुत ही खास माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए रखा था।तभी से वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति के मंगल कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। वत सावित्री व्रत को देशभर में अलग-अलग नामों जाना जाता है जैसे कि बड़मावस, बरगदाही, वट अमावस्या आदि। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
वट सावित्री व्रत तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में वट सावित्री का व्रत सोमवार 26 मई को रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें। फिर व्रती महिलाएं श्रृंगार करके वट वृक्ष के नीचे साफ-सफाई करें और पूजा की शुरुआत करें। इसके बाद धूप और दीप जलाएं उसके बाद वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और वट सावित्री व्रत का पाठ करिए। इसके बाद भोग लगाइए।अंत में मंदिर या गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करिए।
वट सावित्री व्रत महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और आपसी प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे। साथ ही यह व्रत करने से संतान सुख भी प्राप्त हो सकता है। इस पूजा में वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों वटवृक्ष में वास करते हैं।