25 या 26 अप्रैल, कब है वैशाख माह का प्रदोष व्रत? एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन

धर्म { गहरी खोज } : प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संध्या समय यानी प्रदोष काल में किया जाता है, जब दिन और रात का संगम होता है। यह व्रत स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करने वाला माना जाता है। प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन उनकी आराधना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों के पिछले जन्मों के पाप और बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यह व्रत रखते हैं। माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत को करने से सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा। वहीं त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन होने की वजह से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। इसलिए 25 अप्रैल को प्रदोष काल में पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें। फिरल सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल, फिर पंचामृत से स्नान कराएं। आखिर में स्वच्छ जल से धोकर साफ करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, पुष्प, धतूरा, चंदन, रोली, अक्षत अर्पित करें। दीपक जलाएँ और धूप दें। ॐ नमः शिवाय या महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। शिवजी की आरती गाएं। प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा अवश्य सुनें या स्वयं पढ़ें। पूजा के बाद प्रसाद सभी को दें और खुद भी ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत जीवन में आने वाले कष्टों, दुखों और बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। भगवान शिव को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा से सभी परेशानियां दूर होती हैं। इस व्रत को करने से अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। उपवास और भगवान शिव के ध्यान से मन शांत होता है और आत्मा शुद्ध होती है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। सप्ताह के अलग-अलग दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है और यह अलग-अलग प्रकार के लाभ प्रदान करता है।