अमेरिकी जज ने ट्रम्प प्रशासन को भारतीय छात्र को निर्वासित करने से रोका

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वाशिंगटन{ गहरी खोज } :अमेरिका की एक अदालत ने ट्रम्प प्रशासन को एक भारतीय स्नातक छात्र को निर्वासित करने से रोक दिया है, जिसका स्टूडेंट वीजा उसके स्नातक होने से कुछ ही हफ्ते पहले चार अप्रैल को रद्द कर दिया गया था।
मैडिसन अदालत के डिस्ट्रिक्ट जज विलियम कॉनले ने कहा कि यूडब्ल्यू-मैडिसन के अंतर्राष्ट्रीय छात्र 21 वर्षीय कृष्ण लाल इस्सरदासानी का छात्र वीजा रद्द नहीं किया जा सकता और ट्रम्प प्रशासन उसके खिलाफ निर्वासन सहित कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा निर्वासन पर अस्थायी रोक लगाने का अनुरोध मैडिसन के वकील शबनम लोतफी द्वारा किया गया था, जब सरकार के छात्र एवं विनिमय आगंतुक कार्यक्रम (एसईवीआईएस) डेटाबेस में इस्सरदासानी का रिकॉर्ड समाप्त कर दिया गया था।
विस्कन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अपने 12 पेज के आदेश में जज कॉनले ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने इस्सरदासानी का वीजा गलत तरीके से समाप्त किया है, जबकि वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी करने वाले हैं और वीजा रद्द करने के खिलाफ अपील करने के लिए उन्हें किसी भी प्रकार की प्रक्रिया से वंचित किया गया।
जज कॉनले ने कहा कि “इस्सरदासानी के शैक्षणिक व्यय की राशि और डिग्री प्राप्त किए बिना अमेरिका छोड़ने से होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए अदालत ने निष्कर्ष निकाला है कि इस्सरदासानी ने विश्वसनीय रूप से प्रदर्शित किया है कि उन्हें अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए निषेधाज्ञा राहत के बिना उनके पास कानून में कोई पर्याप्त उपाय नहीं है।”
इस्सरदासानी, यूडब्ल्यू-मैडिसन के कम से कम 26 अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और हाल के पूर्व छात्रों में से एक हैं, तथा विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में 40 छात्रों में से एक हैं, जिनके वीज़ा अचानक रद्द कर दिए गए हैं।
गौरतलब है कि ट्रम्प प्रशासन ने जनवरी से अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 1,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का वीज़ा रद्द कर दिया है। जब प्रवेश वीज़ा रद्द कर दिया जाता है, तो छात्रों को निर्वासित कर दिया जाता है और उन्हें तुरंत अमेरिका छोड़ने की सलाह दी जाती है।

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