सामाजिक स्वतंत्रता स्थापित करना ही सच्चे अर्थों में डॉ. आंबेडकर को नमन: सुनील आंबेकर

नयी दिल्ली { गहरी खोज } : भारत के महान सपूत भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की 134 वीं जयंती पूरे देश भर में धूम धाम से मनाया जा रहा है। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से जुलूस निकालकर अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने महाराष्ट्र के पुणे रेलवे स्टेशन के निकट बाबा साहेब की मूर्ति पर पुष्पमाला अर्पित कर नमन किया।
सुनील आंबेकर ने इस दौरान कहा कि डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा दिया गया सद्भाव और समानता का संदेश आज भी प्रासंगिक है। संविधान के निर्माण के दौरान, उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक स्वतंत्रता की आवश्यकता व्यक्त की थी। आरएसएस प्रचारक ने कहा कि समाज में सद्भाव और एकता का भाव पैदा करना ही बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आंबेडकर की जयंती के अवसर पर सुनील आंबेकर के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुणे महानगर संघचालक रवींद्र वंजारवाडकर और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। सुनील आंबेकर ने कहा कि तत्कालीन समाज के सामने कई समस्याएं होने के बावजूद, डॉ। आंबेडकर ने देश और समुदाय की एकता के लिए प्रयास किए। उन्होंने भारतीय समाज में, विशेष रूप से हिंदू समाज में एकता और आवश्यक सुधारों के लिए ठोस प्रयास किए।
उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माण में डॉ। आंबेडकर का योगदान अतुलनीय है। आज कोई कुछ भी कहे, परंतु पूरा देश संविधान के आधार पर चलता है। आपसी भेदभाव और ईर्ष्या को भुलाकर समरसता के लिए हम सब को प्रयास करना चाहिए। बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। भीम जन्मभूमि महू में खासा उत्साह के साथ जगह-जगह जुलूस निकालकर आंबेडकर जयंती मनाई जा रही है।
बाबा साहब डॉ। भीमराव आंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे। देश के संविधान निर्माण और दलित वर्गों के उत्थान में उनकी भूमिका हमेशा अमर रहेगी। वे देश के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। हालांकि, 1951 में कश्मीर मुद्दे, भारत की विदेश नीति और हिंदू कोड बिल पर मतभेदों के कारण उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने लोगों को तीन अनमोल मंत्र दिए- शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।