पित्त की थैली में पथरी क्यों होती है? कैसे इससे बचें

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: पित्त की थैली गॉल ब्लैडर में स्टोन होने के कई कारण होते हैं। खराब जीवनशैली और खानपान इसका मुख्य कारण होते हैं। गॉल ब्लैडर में पथरी होने से कई तरह का खतरा रहता है। गॉल ब्लैडर स्टोन के कारण लिवर पर भी प्रभाव पड़ता है। इससे लिवर का कार्य भी प्रभावित होता है। खाना हजम होने में परेशानी होने से लेकर गंभीर एसिडिटी की भी समस्या होती है। गॉल ब्लैडर के स्टोन से बचने के लिए कुछ उपाय अपनाने चाहिए।
गॉल ब्लैडर शरीर में पित्त को नियंत्रित करने का काम करता है। खाना हजम करने के लिए जरूरी एसिड भी यहीं से लिया जाता है। गॉल ब्लैडर में स्टोन होने पर इसका कार्य प्रभावित होता है। जिसके कारण गंभीर एसिडिटी, खाना पचाने में समस्या होना भी शामिल है। इसके कारण लिवर को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से गॉल ब्लैडर की पथरी होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
ये हैं लक्षण और कारण
गॉल ब्लैडर में स्टोन होने पर कुछ लक्षण उभरते हैं। इनमें पेट या सीने में दर्द महसूस होना। कई बार सांस लेने में परेशानी होना। खांसी का गंभीर धसका उठना, पेट का खराब रहना भी शामिल हैं। पित्त की थैली में पथरी होने के कारणों में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के अलावा बिलीरुबिन का असंतुलन भी शामिल है। इसकेअलावा पित्त लवण, लेसिथिन और कोलेस्ट्रॉल का संतुलन खराब होने से भी पथरी बन सकती है। इसके साथ ही पित्ताशय का पूरी तरह से खाली नहीं होना भी इसका कारण है। इससे पित्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे पथरी बन सकती है।
क्या करें
पित्त की थैली में पथरी होने के लक्षण महसूस होते ही अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। इसके साथ ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पित्त की थैली में पथरी का इलाज कठिन है। इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र तरीका होता है। इसलिए इससे बचना चाहिए।
जीवनशैली में बदलाव करके इससेबचा जा सकता है। कम वसा, उच्च फाइबर वाला आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों। अधिक वजन होने से पित्त पथरी का खतरा बढ़ जाता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, जिससे पित्त में क्रिस्टल बनने से रोका जा सकता है।