शुक्र प्रदोष व्रत कब है? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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धर्म { गहरी खोज }: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान शिव माता पर्वती के साथ समस्त शिव परिवार की पूजा की जाती है। यह व्रत हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस व्रत का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। मान्यता है कि इस दिन भक्ति भाव से भोलनाथ की अराधना करने से व्यक्ति के जीवन की तमाम परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि का वासा होता है।
शुक्र प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। वहीं तिथि का समापन 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा। वहीं त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन होने की वजह से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। पूजा के लिए भक्तों को कुल 2 घंटे 10 मिनट का समय मिलेगा।

प्रदोष व्रत पूजा विधि
1. प्रदोष व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें।
3. अगर संभव हो तो सुबह शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
4. अगर आप मंदिर न जा पाएं, तो घर में भगवान शिव का अभिषेक करें।
5. शिव जी को सफेद चीज का भोग लगाएं और फिर विधिवत पूजा-अर्चना करें।
6. पूजा के बाद गुरु प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें।
7. अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें।

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