‘वंदेमातरम’ की प्रेरणा से ‘स्व’ के आधार पर राष्ट्र निर्माण में सभी सक्रिय हों : आरएसएस

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  • राष्ट्रगीत वंदेमातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरकार्यवाह का संदेश

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ‘वंदेमातरम्’ को समाज की राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक पहचान और एकात्म भाव को सशक्त करने का आधार बताया है। संघ ने आह्वान किया है कि वंदेमातरम् की प्रेरणा को प्रत्येक हृदय में जागृत करते हुए ‘स्व’ के आधार पर राष्ट्र निर्माण कार्य के लिए सभी को सक्रिय होना चाहिए।
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को राष्ट्रगीत वंदेमातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और इसे संगीतबद्ध करने वाले राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ ठाकुर को श्रद्धांजलि दी। मातृभूमि की आराधना और संपूर्ण राष्ट्र जीवन में चेतना का संचार करने वाले अद्भुत मन्त्र ‘वंदेमातरम्’ की रचना 1875 में हुई थी और इस गीत को 1896 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रकवि श्रद्धेय रविंद्रनाथ ठाकुर ने सस्वर प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
उन्होंने कहा है कि आज जब क्षेत्र, भाषा, जाति आदि संकुचितता के आधार पर विभाजन करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब ‘वंदेमातरम्’ समाज को एकता के सूत्र में बांधकर रख सकता है। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि इसके गायन के साथ ही यह गीत देशभक्ति का मंत्र ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय उद्घोष, राष्ट्रीय चेतना तथा राष्ट्र की आत्मा की ध्वनि बन गया। बंग-भंग आंदोलन सहित भारत के स्वाधीनता संग्राम के सभी सैनानियों का घोष मंत्र ‘वंदेमातरम्’ ही बन गया था। इस महामंत्र की व्यापकता को इस बात से समझा जा सकता है कि देश के अनेक विद्वानों और महापुरुषों जैसे महर्षि श्रीअरविंद, मैडम भीकाजी कामा, महाकवि सुब्रमण्यम भारती, लाला हरदयाल, लाला लाजपत राय आदि ने अपने पत्र पत्रिकाओं के नाम में वंदेमातरम् जोड़ लिया था। महात्मा गांधी भी अनेक वर्षों तक अपने पत्रों का समापन ‘वंदेमातरम्’ के साथ करते रहे।
सरकार्यवाह ने कहा कि ‘वंदेमातरम्’ राष्ट्र की आत्मा का गान है। हर किसी को प्रेरणा देता है। वंदेमातरम् अपने दिव्य प्रभाव के कारण आज भी संपूर्ण समाज को राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से ओत-प्रोत करने की सामर्थ्य रखता है। भारत के सभी क्षेत्रों, समाजों एवं भाषाओं में इसकी सहज स्वीकृति है। यह आज भी समाज की राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक पहचान और एकात्म भाव का सशक्त आधार है। राष्ट्रीय चेतना के पुनर्जागरण और राष्ट्र निर्माण की इस पावन बेला में इस महामंत्र के भावों को हृदयंगम करने की आवश्यकता है।
‘वंदेमातरम्’ गीत की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने के पावन अवसर पर सरकार्यवाह ने सभी स्वयंसेवकों और सम्पूर्ण समाज से आह्वान किया है कि वंदेमातरम् की प्रेरणा को प्रत्येक हृदय में जागृत करते हुए ‘स्व’ के आधार पर राष्ट्र निर्माण कार्य हेतु सक्रिय हों और इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को उत्साहपूर्वक भागीदारी करें।

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