दिल्ली की स्थानीय अदालत ने मेधा पाटेकर को परिवीक्षा पर रहने का दिया आदेश

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर को मानहानि के मामले में सजा पर रोक लगाते हुये एक साल की परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया।
अदालत ने आज सुनवाई के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के एक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर को अच्छे आचरण का बांड भरने की शर्त के साथ एक साल तक परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विशाल सिंह ने सुनवाई के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता पाटेकर की उम्र को देखते हुए उन पर लगाये गये जुर्माने की राशि 10 लाख से कम करते हुये एक लाख रुपये कर दी है।
अदालत ने सुनवाई की अंतिम तिथि पर कहा, “ मुकदमे के दौरान प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से यह संदेह से परे साबित
हो गया कि मेधा पाटेकर ने 27 नवंबर 2000 को एक प्रेस नोट प्रकाशित किया था, जिसमें उनके चरित्र पर आरोप लगाए गए थे, जिसका उद्देश्य उन्हें नुकसान पहुंचाना था। अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत अपराध के लिए सही रूप से दोषी ठहराया गया था। ”
श्री सक्सेना ने 2001 में पाटेकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उस समय वह अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। श्री सक्सेना ने पाटेकर के खिलाफ 25 नवंबर 2000 को देशभक्त का असली चेहरा शीर्षक से एक प्रेस नोट जारी कर उन्हें बदनाम करने का मामला दर्ज कराया था।
अदालत ने सुश्री पाटेकर को सजा के आदेश पर अपना पक्ष रखने के लिए आठ अप्रैल को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का भी निर्देश दिया था।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) ने मई 2024 में पाटेकर को दोषी ठहराया और एक जुलाई 2024 को श्री सक्सेना (वर्तमान दिल्ली के उपराज्यपाल) को बदनाम करने के लिए सजा और जुर्माना सुनाया था। जेएमएफसी ने शिकायतकर्ता श्री सक्सेना के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटेकर को पांच महीने की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा न करने पर सुश्री पाटेकर को तीन महीने के साधारण कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश दिया गया था। अदालत ने हालांकि परिवीक्षा पर रिहाई के पाटेकर के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
पाटेकर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 415(3) के तहत वी. के. सक्सेना बनाम मेधा पाटेकर नामक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा पारित 24 मई 2024 के निर्णय और एक जुलाई 2024 के सजा के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।