नसबंदी अभियान फेल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की उड़ाई धज्जियां

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धार{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद मध्यप्रदेश के धार शहर में आवारा कुत्तों और मवेशियों पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई है। नगर पालिका द्वारा शुरू किया गया नसबंदी अभियान अधूरा रह गया है। पहले चरण में चार हजार आवारा कुत्तों में से 500 की नसबंदी का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन मात्र 300 कुत्तों की ही नसबंदी हो सकी और पिछले दो माह से यह काम पूरी तरह बंद पड़ा है।शहर के प्रमुख मार्गों और चौराहों पर इन दिनों मवेशियों का जमावड़ा बना हुआ है। मांडू रोड, इंदौर रोड और किला रोड पर अक्सर मवेशी सड़क पर आ जाते हैं, जिससे यातायात बाधित होने के साथ दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। बताया जाता है कि शहर में चार हजार से अधिक कुत्ते हैं, जो पिछले 10 माह में 2,605 लोगों को काट चुके हैं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 2,962 थी। नगर पालिका ने इस समस्या से निपटने के लिए 5 लाख रुपये की लागत से 500 कुत्तों की नसबंदी कराने का प्लान बनाया था, जो अब विफल हो गया है।
मवेशियों को नियंत्रित करने के लिए शहर में गोशालाओं में पर्याप्त जगह होने के बावजूद कोई धरपकड़ नहीं की जा रही। पुलिस लाइन के पास स्थित गोशाला में 500 मवेशियों को रखने की क्षमता है, जबकि वहां फिलहाल केवल 125 गाय हैं। लक्ष्मी गोशाला में भी पर्याप्त जगह उपलब्ध है, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा।
वहीं पशु विभाग परिसर में बना शेल्टर हाउस भी बंद पड़ा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर भी पर्याप्त जगह उपलब्ध है, जहां कुत्तों को रखने की व्यवस्था की जा सकती है, पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। पशु विभाग के अधिकारी रविंद्र राठी ने बताया कि कुत्तों को पकड़ने का काम नगर पालिका करती है और विभाग केवल सहायता करता है।
नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी राधेश्याम चौहान ने कहा कि कुत्तों की नसबंदी कराई गई है और आगे भी अभियान जारी रहेगा। मवेशियों को भी सड़कों से हटाने की कार्रवाई की जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।

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