भारत का ‘डीपटेक’ क्षेत्र 2030 तक 30 अरब डॉलर का होगा : रिपोर्ट
नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत के ‘डीपटेक’ क्षेत्र में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है, और इसके बाजार अवसर 2030 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट कहती है कि रक्षा नवोन्मेषण और वैश्विक रोबोटिक्स में उछाल के कारण डीपटेक क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। भारत ने रक्षा डीपटेक पर खर्च में उल्लेखनीय बदलाव देखा है। पिछले एक दशक में राष्ट्रीय रक्षा बजट दोगुना होकर 80 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है। यह विस्तार इसी अवधि के दौरान अमेरिका और चीन जैसे शीर्ष वैश्विक खर्च करने वाले देशों द्वारा दर्ज की गई वृद्धि दर से अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत के डीपटेक अवसर पिछले पांच साल में 2.5 गुना बढ़े हैं और यह 2030 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर का विशाल बाजार बनने की ओर अग्रसर हैं।’’ भारत, चीन के बाहर एकमात्र विश्वसनीय, कम लागत वाला केंद्र बनकर उभर रहा है। इसका डीपटेक आधार, यानी वित्त वर्ष 2024-25 तक 9-12 अरब अमेरिकी डॉलर, भारत के रक्षा डीपटेक और वैश्विक रोबोटिक्स में खर्च द्वारा आगे बढ़ रहा है।
चीन के बाहर एक विश्वसनीय, कम लागत वाले वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की उभरती स्थिति रोबोटिक्स में गहन तकनीकी प्रगति से और मजबूत हो रही है। 60 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के वैश्विक रोबोटिक मशीनों के बाजार के 2030 तक लगभग 230 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें ह्यूमनॉइड रोबोट एक प्रमुख श्रेणी का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत को लागत में काफी बढ़त हासिल है, ह्यूमनॉइड रोबोट की उत्पादन लागत अमेरिका की तुलना में लगभग 73 प्रतिशत कम है, जिसका श्रेय कुशल स्थानीय एकीकरण, तुलनात्मक रूप से कम श्रम लागत और लागत-अनुकूलित सोर्सिंग को दिया जाता है।
