दुनिया तेजी से बदल रही है, आगे रहने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा: सीतारमण
मुंबई { गहरी खोज }: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान समय में दुनिया तेजी से बदल रही है और देश को आगे बनाये रखने के लिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है।
श्रीमती सीतारमण ने यहां 12वें एसबीआई बैंकिंग एवं आर्थिक सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए कहा, “आत्मनिर्भरता का मार्ग साहस, सहयोग और खुद को निरंतर परिस्थितियों के अनुकूल ढालने का मार्ग है। हमारे आसपास की दुनिया पहले से कहीं अधिक तेजी से बदल रही है। आगे बने रहने के लिए भारत को एकजुट होकर कार्य करना होगा – सरकार, उद्योग और नागरिक – सभी को अपना योगदान देना होगा।” उन्होंने कहा कि ‘सबका प्रयास’ केवल एक नारा नहीं है, यह निरंतर प्रगति की कुंजी है।”
आत्मनिर्भर भारत के विजन पर बोलते हुए उन्होंने इसके पांच आयामों की उल्लेख किया और उस दिशा में मोदी सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। ये पांच आयाम हैं – आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी आत्मनिर्भरता, रणनीतिक आत्मनिर्भरता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत एक विशाल और खास तरह की विविधता वाला देश है और हम दूसरे देशों की नकल करके आगे नहीं बढ़ सकते। आर्थिक आत्मनिर्भरता का हमारा मार्ग हमारी अपनी वास्तविकताओं, आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार तय होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पूंजीगत आवंटन पांच गुना बढ़कर 11.21 लाख करोड़ रुपये हो गया है, देश के 23 शहरों में मेट्रो रेल चल रही है या बन रही है, बंदरगाह क्षमता दोगुनी हो गयी है।
सामाजिक आत्मनिर्भरता के लिए ‘अंत्योदय’ को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें संरक्षण-आधारित समर्थन से अपरिवर्तनीय सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की ओर बदलाव की आवश्यकता है। यह तब प्राप्त होता है जब नागरिकों के पास राष्ट्र की प्रगति में पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता और स्वतंत्रता होती है। हमारा लक्ष्य एक ऐसा समाज और लोग होना चाहिये जो अपने पैरों पर खड़े हों – आत्मविश्वासी, देखभाल करने वाले और एकजुट। आत्मविश्वास और सामूहिक शक्ति को निर्भरता और लाचारी का स्थान लेना चाहिये।
तकनीकी आत्मनिर्भरता के बारे में उन्होंने कहा कि यह केवल हार्डवेयर या विनिर्माण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि डेटा संप्रभुता, डिजिटल विश्वास और एआई, क्वांटम तकनीक, अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व के बारे में भी है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता राष्ट्रीय हित और संप्रभुता के लिए महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने की स्वायत्तता है। इसका अर्थ है अपने भोजन, ऊर्जा, खनिज और रक्षा आवश्यकताओं को सुरक्षित करने की क्षमता। यह घरेलू शक्ति और बाहरी आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से हो सकता है।
ऊर्जा आत्म निर्भरता के लिए उन्होंने संसाधनों का जिम्मेदारी के साथ उपयोग करने और भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जरूरत को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता कोई मंजिल नहीं, बल्कि एक यात्रा है। हमें सरकार के सभी स्तरों (केंद्र, राज्य, नियामक, न्यायपालिका) पर निरंतर सुधार की मानसिकता को बढ़ावा देना चाहिये। हमारी शासन प्रणालियां परिवर्तन को अपनाने के लिए तैयार, नवाचार से प्रेरित और हर स्तर पर संस्थानों और परिणामों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध होनी चाहिये। उन्होंने आह्वान किया कि 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी को मिलकर आत्मविश्वास और सामूहिक संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिये।
