पूर्वी तट बनेगा भारत का नया ‘प्रवेश द्वार,’ ओडिशा ने मेरीटाइम वीक में रचा इतिहास, 50,000 करोड़ का निवेश

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ओडीशा { गहरी खोज }: एक समय में देश के पिछड़े राज्यों की सूची में जगह बनाने वाला ओडीशा अब भाजपा की सरकार आते ही नये इतिहास रचने लगा है। बंगाल की खाड़ी से सटा ओडीशा अब ‘समुद्र’ को ही अपनी सबसे बड़ी शक्ति बनाने जा रहा है। मुंबई में चल रहे इंडिया मेरीटाइम वीक 2025 के दौरान ओडिशा सरकार ने समुद्री क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि दर्ज की। राज्य ने समुद्री अवसंरचना, जहाज निर्माण, कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स और जलमार्ग विकास के लिए कुल 9 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए, जिनकी अनुमानित निवेश राशि 50,000 करोड़ रुपये बतायी जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की उपस्थिति में हुए इन करारों ने ओडिशा को भारत की ‘ब्लू इकोनॉमी’ यानी समुद्री अर्थव्यवस्था में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित कर दिया है।
इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय बंदरगाह संघ और बंदरगाह, जहाजरानी व जलमार्ग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में स्थापित करना व ‘ब्लू इकोनॉमी’ को प्रोत्साहन देना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ओडिशा, जिसकी 575 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा और समृद्ध समुद्री विरासत है, व्यापार और औद्योगिक विकास के एक प्रमुख प्रवेशद्वार के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर है। ये परियोजनाएं ओडिशा के बंदरगाह-आधारित औद्योगिक विकास को तेज़ गति देंगी और 2036 तक पीएम मोदी के ‘विकसित ओडिशा’ के लक्ष्य के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करेंगी। भारत का पूर्वी तट अब एक प्रमुख ट्रेड कॉरिडोर के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है।
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने कहा कि हम ओडिशा को एक मजबूत पोर्ट-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य के बंदरगाह आने वाले 25 वर्षों में उद्योग, व्यापार और रोजगार के प्रमुख इंजन बनेंगे। हमारी 480 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा हमें पूर्वी भारत के व्यापार का प्रवेशद्वार बनाती है।
इस अवसर पर ओडिशा ने अपना ‘मैरिटाइम रोडमैप 2047’ प्रस्तुत किया, जिसके तहत राज्य ने अपने कुल बंदरगाह हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाकर 500 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य रखा है। इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 14 छोटे बंदरगाहों का विकास और दो बड़ी परियोजनाओं गंजाम जिले में बाहुड़ा पोर्ट तथा केंद्रपाड़ा में महानदी नदीमुख पर शिपबिल्डिंग क्लस्टर को प्राथमिकता दी जाएगी।
बाहुड़ा सैटेलाइट पोर्ट, गंजाम – 21,500 करोड़ रुपये का संयुक्त प्रोजेक्ट, पारादीप पोर्ट अथॉरिटी, ओडिशा मेरीटाइम बोर्ड और सागरमाला फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सहयोग से। मेगा शिपबिल्डिंग क्लस्टर, केंद्रपाड़ा – 22,700 करोड़ रुपये के निवेश से राष्ट्रीय स्तर का जहाज निर्माण केंद्र विकसित किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल – पुरी, 500 करोड़ रुपये की परियोजना, जिससे ओडिशा को क्रूज़ पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करने का लक्ष्य है। नेशनल वाटरवे- 5 का परिचालन, इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया और कोयला मंत्रालय के साथ समझौता, जिससे खनिज और माल परिवहन में अभूतपूर्व सुधार होगा। शैक्षणिक और अवसंरचनात्मक साझेदारी, बेहरामपुर विश्वविद्यालय और इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी के बीच अनुसंधान सहयोग समझौता तथा ओडीशा मैरिटाइम बोर्ड और इंडियन पोर्ट रेल एंड रोपवे कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच समुद्री संग्रहालय और चार-लेन पोर्ट एक्सेस रोड निर्माण के लिए करार।
राज्य ने इस मंच पर दो बड़े निजी निवेश प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए, जिसमें खुर्दा में रिलायंस कंज्यूमर लिमिटेड द्वारा 938 करोड़ रुपये का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और जैन मेटल्स द्वारा गंजाम में 2,100 करोड़ रुपए का टाइटेनियम प्रोजेक्ट शामिल हैं। ओडिशा का यह कदम राज्य को केवल औद्योगिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाला साबित हो सकता है। आने वाले वर्षों में इन परियोजनाओं से न केवल हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होंगे, बल्कि ओडिशा का बंदरगाह नेटवर्क पूर्वी भारत के विकास का प्रमुख आधार बनेगा। ओडिशा की यह ऐतिहासिक पहल राज्य को ‘भारत का समुद्री प्रवेशद्वार’ बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है, जो आने वाले दशकों में पूर्वी भारत के औद्योगिक और आर्थिक पुनर्जागरण का आधार बनेगी।

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