बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से भारत की आर्थिक शक्ति का उदय

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत की आर्थिक शक्ति का प्रवाह समंदरों से होता है। भारत के व्यापार का लगभग 95 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से तकरीबन 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्री मार्गों के जरिए होता है। वास्तव में समुद्र भारत के वाणिज्य की प्राणशक्ति है। कच्चे तेल और कोयले से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और कृषि उत्पादों तक देश के आयात और निर्यात का बड़ा हिस्सा व्यस्त बंदरगाहों से होकर गुजरता है। ये बंदरगाह भारत को विश्व भर के बाजारों से जोड़ते हैं। वैश्वीकरण से आपूर्ति श्रृंखला की अंतरनिर्भरता गहरी होने और भारत के प्रमुख मैनुफैक्चरिंग और ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरने के साथ ही बंदरगाहों और जहाजरानी की कार्यकुशलता राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धिता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
भारत ने खुद को वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से साहसिक कदम उठाते हुए मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी 2030) की शुरुआत की। वर्ष 2021 में शुरू किए गए इस परिवर्तनकारी रोडमैप में 150 से ज्यादा रणनीतिक पहलकदमियों को शामिल किया गया है। इस विजन का उद्देश्य संवहनीयता और कौशल विकास को केंद्र में रखते हुए बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, जहाजरानी क्षमता का विस्तार और अंतर्देशीय जलमार्गों का सुदृढ़ीकरण है। एमआईवी 2030 सिर्फ माल ढुलाई का खाका होने के बजाय व्यापार, निवेश और रोजगार का उत्प्रेरक भी है। यह भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धिता के मार्ग को प्रशस्त करता है।
भारत का समुद्री क्षेत्र आर्थिक विकास के एक नए मार्ग पर चलते हुए बंदरगाहों, तटीय जहाजरानी और अंतर्देशीय जलमार्गों में रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र की प्रगति राष्ट्र को मजबूत करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

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