दुनिया आत्मसात कर रही है आरएसएस का दर्शन : होसबले

अयोध्या{ गहरी खोज }: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबले ने कहा कि संघ की सौ वर्ष की यात्रा दुनिया के लिए शोध का विषय बन गया है और हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, समाज सेवा, मानवता का संकल्प लेकर आरएसएस का दर्शन दुनिया स्वीकार कर रही है। संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर अयोध्या के सरयू तट स्थित रामकथा पार्क में आयोजित स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि रामराज्य और हिंदू राष्ट्र दोनों एक है। प्रभु श्रीराम का मर्यादित आचरण समाज को समरसता के सूत्र में जोड़ कर प्रजा का हित सर्वोपरि रखकर रामराज्य की स्थापना की। रामराज्य का आदर्श धर्म के मार्ग पर राज्य का संचालन करना है।
होसबले ने कहा कि कुछ लोग हमारे विचार से असहमत हैं। उन्हें आरएसएस के दर्शन, सिद्धांत और कार्य संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की है। हम राष्ट्रवाद की अलख जगा कर देश की संस्कृति और वैभव को समृद्धि करने में लगे हैं। आरएसएस भारत की अखंडता और समृद्धि को मूल मंत्र मानकर कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज का निर्माण कर रहा है, व्यक्ति का निर्माण कर रहा है, हम सब एक है इस भावना से राष्ट्र को वैभव की ओर ले जा रहा है।
उन्होने कहा कि भारत की संस्कृति पर अनेकों बार हमले हुए, लेकिन भारत की संस्कृति और संस्कार आज भी श्रेष्ठ है। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण हो रहा है इसमें संत महंत धर्माचार्य समाज के साथ आरएसएस संगठन को गढ़ने में लगा रहा है।
भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए देश में हम भारतीय है इस मूल भावना को जागृत करना पड़ेगा। इसका निर्माण हम क्या हैं स्व का भाव, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, कुटुम्ब प्रबोधन और सामाजिक समरसता के भाव को सभी देशवासियों के अंदर जागृत करने में आरएसएस लगा हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा अभी जारी है। देश में धर्म की क्रान्ति होनी चाहिए, राष्ट्रभावना की क्रान्ति होनी चाहिए, नैतिकता और मानवता की क्रांति होनी चाहिए। आरएसएस की यात्रा यात्रा अनवरत जारी रहेगी।