टैक्स रेवेन्यू में जबरदस्त ग्रोथ, 10.82 लाख करोड़ पर पहुंचा कलेक्शन कंपनियों ने भी बढ़ाई हिस्सेदारी

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में सालाना आधार पर अब तक 9.18 फीसदी बढ़कर 10.82 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह संग्रह 9.91 लाख करोड़ रुपये था। कंपनियों से अग्रिम टैक्स वसूली में वृद्धि और रिफंड में गिरावट से शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में तेजी आई है। इस अवधि में करदाताओं को जारी रिफंड 24 फीसदी घटकर 1.61 लाख करोड़ रुपये रह गया।
आयकर विभाग के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, एक अप्रैल से 17 सितंबर के बीच सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह सालाना आधार पर 3.39 फीसदी बढ़कर 12.43 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। इस अवधि में कॉरपोरेट यानी कंपनियों से अग्रिम कर वसूली 6.11 फीसदी बढ़कर 3.52 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। हालांकि, गैर-कॉरपोरेट से अग्रिम कर वसूली 7.30 फीसदी घटकर 96,784 करोड़ रुपये रह गई। शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह एक साल पहले की समान अवधि के 4.50 लाख करोड़ से बढ़कर 4.72 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के रूप में 26,306 करोड़ रुपये जुटाए गए। एक साल पहले की समान अवधि में एसटीटी 26,154 करोड़ रुपये रहा था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर के रूप में 25.20 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो सालाना आधार पर 12.7 फीसदी अधिक है। इस दौरान प्रतिभूतियों के लेनदेन से 78,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं, अग्रिम कर की निकासी के चलते बैंकों में नकदी घटकर चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस कारण बैंकों को अब धन जुटाने के लिए विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे रोजाना के फाइनेंस की लागत भी बढ़ गई है। दरअसल, हर तिमाही के अंतिम महीने की 15 तारीख को कंपनियां अग्रिम कर भरती हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, बैंकिंग प्रणाली में नकदी बुधवार को 700 अरब रुपये के स्तर से नीचे आ गई। इससे एक रात की कॉल दर 5.65 फीसदी पर पहुंच गई। यह चार हफ्तों में इसका उच्च स्तर है। रुपये में धन जुटाने के लिए बैंकों ने डॉलर/रुपये के एक दिवसीय बेचने/खरीदने का काम काम किया। इससे विदेशी मुद्रा स्वैप बाजार में ब्याज दरें बढ़ गईं। पिछले दो दिनों से विदेशी मुद्रा स्वैप दरों में वृद्धि का रुझान देखने को मिल रहा है, जो रुपये की तरलता में मौजूदा और अपेक्षित तंगी को दर्शाता है।