भगदड़ की बढ़ती घटनाएं

0
679a10a84d45e-mahakumbh--mahakumbh-2025--mahakumbh-stampede--maha-kumbh-bhagdad--up-news--maha-kumbh-bhagdad-news-292730866-16x9

संपादकीय { गहरी खोज }: उत्तराखंड के हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर क्षेत्र में मची भगदड़ में 8 लोगों की मौत हो गई और 40 के करीब लोग घायल हुए। इस समाचार की सुर्खियों की स्याही भी नहीं सूखी थी कि अब उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के अवसानेश्वर मंदिर में बिजली की तार गिरने से मची भगदड़ में दो लोगों की मौत और 32 लोगों के घायल होने का समाचार सुर्खियों में है।

अतीत में जाएं तो पायेंगे कि मंदिरों, धार्मिक समारोहों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में मची भगदड़ के कारण कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। समाज और सरकार दोनों ने बढ़ते हादसों को गंभीरता से नहीं लिया परिणामस्वरूप आये दिन भगदड़ को लेकर समाचार मिलते रहते हैं।

इसी वर्ष चार जून को आइपीएल में आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए भीड़ एकत्र हुई, जिसमें चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ मचने से 11 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। तीन मई को गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान तड़के मची भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 लोग घायल हो गए। 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में महिलाओं और बच्चों समेत 18 लोगों की मौत गई। ये लोग महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। 29 जनवरी को ‘अमृत स्नान’ में भाग लेने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जुटने के बाद महाकुंभ के संगम क्षेत्र में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए। आठ जनवरी को तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के टिकट के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच हुई धक्का-मुक्की में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। दो जुलाई, 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू बाबा भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि द्वारा आयोजित सत्संग में भगदड़ मचने से महिलाओं और बच्चों सहित 100 से 120 लोगों की मौत हो गई। 31 मार्च, 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन ‘बावड़ी’ के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से 36 लोगों की मौत हो गई। एक जनवरी, 2022 को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए। 14 जुलाई 2015 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्रान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। तीन अक्तूबर, 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोगों की जान चली गई थी और 26 अन्य घायल हो गए थे।

समाज और सरकार दोनों को भगदड़ के मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। किसी पर्व या सम्मेलन को लेकर जब जरूरत से अधिक प्रचार कर सफल बनाने की पुरजोर कोशिश समाज या सरकारें करती हैं तो हजारों-लाखों की संख्या में लोगों का एकित्रत होना स्वाभाविक है, क्योंकि लोगों की भावनाएं उस पर्व या समारोह से जुड़ी होती हैं। भावनाओं से ओत-प्रोत लोग पहले ‘मैं’ के चक्कर में सुरक्षा के बने नियमों का परवाह नहीं करते और अचानक कुछ होता है या अफवाह फैलती है तो परिणाम भगदड़ के रूप में सामने आता है, जिसमें लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि पुलिस व प्रशासन जब वीआईपी के लिए विशेष रास्ता बनाने के लिए जन साधारण को रोकती है, तब भी दबाव बढ़ता है। हजारों की संख्या में लोगों को रोक दिया जाता है। जब किसी एक का धैर्य टूटता है तो हादसा हो जाता है। समाज और सरकार दोनों को मिलकर ऐसा रास्ता ढूंढना होगा जिससे बहुमूल्य जान से किसी को हाथ न धोना पड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *