हार के बाद पंजाब ने की कमाल की वापसी

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: अक्सर होता है कि कप्तान हो,खिलाड़ी हो, टीम हो वह हार से निराश होती है, बुरी हार से और ज्यादा निराश होती है। ज्यादातर मैच में अच्छा प्रदर्शन के बाद एक मैच में खराब प्रदर्शन से सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ऐसा लगता है कि यह टीम और यह कप्तान तो अब जीत की राह पर वापसी नहीं कर सकता लेकिन कई बार कमाल होता है। कई बार टीम कमाल करती है, कई बार कप्तान कमाल करता है। कई बार टीम व कप्तान दोनों कमाल करते हैं।आईपीएल-२५ में टाप पर पहली चार टीमें जो पहुंची, वह १४ मैच में से ज्यादातर मैच जीतने वाली टीमें थीं। पंजाब पहले नंबर पर, बेंगलुरु दूसरे नंबर पर, गुजरात तीसरे नंबर और मुंबई चौथे नंबर की टीम थी।माना जा रहा था कि पंजाब पहले नंबर पर है तो वह बेंगलूरु को हरा सकती है।पहला मैंच दोनों के बीच हुआ। किसी ने सोचा नही था कि पंजाब की टीम इतना बुरा प्रदर्शन करेगी।कप्तान श्रेयस के रहते टीम १०१ रन पर आउट हो जाएगी, वह पूरे २० ओवर भी नहीं खेल पाएगी. उसके सात खिलाड़ी दहाई तक नहीं पहुंचे,यह इस आईपीएल में पंजाब का सबसे बुरा प्रदर्शन था।किसी ने नहीं सोचा था कि पंजाब इतनी आसानी से हार जाएगी।कहां माना जा रहा था कि पंजाब बेंगलुरू अपनी पिछली हार का बदला लेगा, कहां पंजाब को बेगलुरू ने पिछली बार से भी बुरी तरह हरा दिया।
यह तो अच्छा हुआ कि पंजाब पहले नंबर की टीम थी, इसलिए उसे एक मैच और खेलने का मौका मिला।उसे यह मैच मुंबई से खेलना था, उस मुंबई से खेलना था जो शुरू के कई मैच लगातार हारने के बाद अंकतालिका में लंबे समय तक आठवें नंबर पर रही लेकिन बाद के मैचों में उसने जीत का सिलसिला शुरू किया तो वह पहले चार टीमों में से एक रही। वह कहां शुरू में बहुत पीछे थे, लेकिन अंत में वह पहले चार में थी। जबकि शुरू में गुजरात व दिल्ली आगे थे लेकिन अंत में पहली चार टीमों में भी नहीं थे। इसकी वजह यह रही कि दिल्ली व गुजरात आखिरी मैच लगातार हारते गए। गुजरात को हरा कर ही मुंबई की टीम आखिरी चार में पहुंची थी। मुंबई व पंजाब के बीच क्वालिफायर दो होना था यानी जो हारेगा वह बाहर हाे जाएगा,इसलिए दोनों के बीच यह अहम मुकाबला था यानी प्रतिष्ठा का प्रश्न था। पंजाब इससे पहले २०१४ में आईपीएल के फाइनल में पहुंचा था लेकिन ट्राफी नहीं जीत पाया था वही मुंबई २०२० में आखिरी बार फाइनल में पहुंची थी।मुंबई का यह लीग इतिहास में पांचवा क्वालिफायर था, अब तक वह दो बार जीती और दो बार हारी थी। २०१३ व २०१७ में मुंबई क्वालिफायर से फाइनल में पहुंची थी और ट्राफी जीती थी।जहां तक इस बार के आईपीएल में मुंबई व पंजाब के मुकाबले की बात थी तो एक ही मुकाबला हुआ था जिसमें पंजाब ने मुंबई को सात विकेट से हरा दिया था। मुंबई ने इस मैच में १८४ रन बनाए थे जिसे पंजाब ने १८ ओवर में १८७रन बनाकर जीत लिया था।
हार जीत के हिसाब से देखा जाए तो पंजाब का पलड़ा भारी लग रहा था लेकिन पंजाब बेंगलुरू से हारने के कारण दवाब में थी और मुंबई गुजरात को पिछला मैच हराने के कारण उत्साहित थी। यानी एक हारी हुई टीम व एक जीती हुए टीम के बीच मुकाबला था दूसरा क्वालिफायर मैच। दोनों की गेंदबाजी व बल्लेबाजी मेंं ज्यादा अंतर नहीं था, उन्नीस व बीस का अंतर ही था,इस आधार पर तो जो थोड़ा सा अच्छा प्रदर्शन करता वह जीत सकता था।कप्तान हार्दिक पांडया व श्रेयस में से श्रेयस को ही अच्छा कप्तान माना जाता है।उसने जिस टीम की कप्तानी की है, उसे ट्राफी दिलाई है।उनकी कप्तानी में कोलकाता व दिल्ली ने ट्राफी जीती है इस बार वह पंजाब की कप्तानी कर रहे है और टीम को अंतिम चार में ले आए हैं तो माना जा रहा है कि इस बार उनका लक्ष्य पंजाब के लिए ट्राफी जीतना है। मुंबई को पंजाब से ज्यादा मजबूत माना जा रहा था तो उसकी वजह यह थी कि उसने कई ट्राफी जीती है। जबकि पंजाब को अभी पहली ट्राफी जीतनी है।मुबंई की ताकत बुमराह को भी माना जा रहा था।दूसरे क्वालिफायर मैंच अहमदाबाद में हुआ। टास पंजाब ने जीता और पहले गेंदबाजी की फैसला किया।मुंबई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट पर २०४ रन बनाए। रोहित को छोड़ दिया जाए तो बेयरेस्टो ३८,तिलक ४४, सूर्या ४४ व नमन ४४ ने अच्छी बल्लेबाजी की, हार्दिक पटेल १५रन ही बना सके, यदि वह गुजरात के मैच की तरह आखिरी ओवरों में अच्छी बल्लेबाजी की होती तो मुंबई २३० चालीस रन बना सकती थी। हार्दिक पिछले मैच की तरह अच्छी कप्तानी पारी नहीं खेल सके। मुंबई आखिरी के दो ओवरों में रन ही नहीं बना सकी।
किसी भी मैच में शुरू के छह ओवर व आखिरी के चार ओवर अहम होते है, जो इन दस ओवरों में अच्छी बल्लेबाजी व गेंदबाजी करता है, वह मैच जीतता है। पंजाब ने योजना बनाकर खेला, उसने तय कर लिया था,उसे यह मैच हर हाल में जीतना है। कप्तान श्रेयस अय्यर के कप्तानी पारी खेलने पर सब कुछ टिका हुआ था। कप्तान श्रेयस ने टीम को निराश नहीं किया,वह खेलने आये तब ५५ रन पर दो विकेट गिर चुके थे, यानी ओपनिंग अच्छी नहीं हुई थी।प्रियांश २० रन व प्रभसिमरन ६ रन बना सके थे। श्रेयस व इंग्लिस अच्छा खेल रहे थे, इंग्लिस ने ३८ रन बनाए। उसके बाद श्रेयस ने बढ़ेरा के साथ मिलकर अच्छी साझेदारी की। मुंबई के गेंदबाज कभी भी श्रेयस व वढेरा पर प्रभावी नही रहे। बुमराह जो मुंबई की ताकत समझे रहे थे, उनके एक ओवर में बीस रन बनाकर पंजाब ने बता दिया था कि आज उनका दिन है। उनको कोई रोक नहीं सकता। श्रेयस को कोई आउट नहीं कर सका और १९ वें ओवर में श्रेयस ने तूफानी बल्लेबाजी की और २०७ रन बनाकर मुंबई को ५ विकेट से हराकर तीसरी ट्राफी जीतने की ओर एक और कदम बढ़ा दिया।
पंजाब ११ साल बाद आईपीएल के फाइनल में जगह बनाने मे सफल हुआ है तो इसका श्रेय श्रेयस अय्यर को जाता है। उसने फिर एक बार साबित किया कि वह २०-२० के सफल कप्तान हैं।मुंबई दो सौ बनाती है तो वह मैच हारती नहीं है, ऐसी धारणा बनी हुई थी लेकिन पंजाब व श्रेयस अय्यर ने मुंबई को २०० रन बनाने के बाद भी हराकर यह धारणा तोड़ दी है। श्रेयस उदाहरण हैं इस बात के टीम कोई भी हो, कप्तान का असर टीम पर होता है। टीम भी कप्तान की तरह अ्चछी हो जाती है। हारने के बाद भी टीम फाइनल तक पहुंचती है। फिर पंजाब का मुकाबला फाइनल में बेंगलुरू से होगा, पंजाब जीतकर फिर बेंगलुरू के सामने आ खड़ा हुआ है तो इसका श्रेय श्रेयस को जाता है, उसकी कमाल की कप्तानी, उसकी कमाल की बल्लेबाजी को जाता है।