हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस, जानें महत्व

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: भारत में सदियों पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को बढ़ावा देने और इसकी वैज्ञानिकता को दुनिया के सामने लाने के लिए भारत सरकार ने एक खास कदम उठाया है। अब हर साल 23 सितंबर को ‘आयुर्वेद दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह घोषणा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने की है, जिसका उद्देश्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है।

कौन हैं भगवान धन्वंतरी?
भगवान धन्वंतरी को हिंदू धर्म में चिकित्सा और आयुर्वेद के देवता माना जाता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान वे अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। इसलिए इनकी जयंती को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाना एक उचित और सांस्कृतिक रूप से मजबूत पहल है।

कब और कैसे शुरू हुआ आयुर्वेद दिवस?
वर्ष 2016 में, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) ने धन्वंतरी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, लेकिन अब इसे 23 सितंबर की एक निश्चित तिथि पर हर साल मनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि इसकी पहुंच और पहचान व्यापक हो सके।

क्या होता है आयुर्वेद दिवस पर?
आयुर्वेद दिवस के अवसर पर देशभर में और विदेशों में भी कई आयोजन होते हैं। जैसे स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता अभियान, सेमिनार और कार्यशालाएं जिनमें विशेषज्ञ आयुर्वेद के बारे में जानकारी साझा करते हैं। प्रदर्शनियां और पब्लिक अवेयरनेस प्रोग्राम जिनमें आयुर्वेदिक उत्पाद और उपचार दिखाए जाते हैं। स्कूल, कॉलेज और मेडिकल संस्थानों में विशेष कार्यक्रम, जिससे युवा पीढ़ी आयुर्वेद को समझ सके।

हर साल तय होता है एक खास विषय
आयुर्वेद दिवस को हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है। यह थीम उस साल की आवश्यकताओं और समाज में आयुर्वेद की भूमिका के आधार पर तय की जाती है। इसका उद्देश्य आयुर्वेद की विविधताओं को अलग-अलग तरीके से प्रस्तुत करना होता है।

भारत सरकार का दृष्टिकोण
भारत सरकार इस दिन को केवल एक औपचारिक आयोजन तक सीमित नहीं रखना चाहती। Whole of Government Approach यानी संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग मिलकर आयुर्वेद दिवस को सफल बनाने में भूमिका निभाते हैं। इसका मकसद है आयुर्वेद को आधुनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में प्रभावी ढंग से शामिल करना।

आयुर्वेद दिवस का महत्व
आज जब पूरी दुनिया प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौट रही है, ऐसे में भारत का यह प्रयास बेहद जरूरी और समय के अनुकूल है। आयुर्वेद न केवल उपचार की एक पद्धति है, बल्कि यह जीवनशैली, खान-पान और मानसिक संतुलन पर भी जोर देता है। आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य यही है कि लोग आयुर्वेद को केवल विकल्प नहीं, बल्कि मुख्यधारा की चिकित्सा के रूप में अपनाएं।

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