भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां अप्रैल में 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, { गहरी खोज }: भारत का मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में 10 महीने के उच्चतम स्तर 58.2 पर पहुंच गया है, जो कि पिछले महीने 58.1 पर था। यह जानकारी शुक्रवार को जारी किए एचएसबीसी इंडिया सर्वे में दी गई। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़त की वजह निर्यात और घरेलू मांग में इजाफा होना है।
जब भी पीएमआई 50 के ऊपर होता है तो यह मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़त को दर्शाता है और जब भी यह इसके नीचे होता है तो मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट होती है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, “कंपनियों ने वृद्धि का श्रेय बेहतर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को दिया। जनवरी को छोड़कर वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत में विदेश से आने वाला नया व्यवसाय 14 वर्षों में सबसे अधिक तेजी से बढ़ा है।”
एचएसबीसी इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अप्रैल में नए निर्यात ऑर्डर में वृद्धि भारत के उत्पादन में संभावित बदलाव का संकेत है, क्योंकि व्यवसाय उभरते व्यापार परिदृश्य और यूएस द्वारा टैरिफ घोषणाओं के अनुकूल खुद को ढाल रहे हैं।
सभी सेक्टरों की कंपनियों में कंज्यूमर गुड्स कंपनियों ने सबसे तेज वृद्धि दर्ज की। नए व्यवसाय में तेज वृद्धि के साथ उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है।
भंडारी ने कहा, “मजबूत ऑर्डरों के कारण मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन में वृद्धि दस महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इनपुट लागत में भी वृद्धि हुई, लेकिन मार्जिन पर प्रभाव आउटपुट कीमतों में बहुत अधिक तेजी से ऑफसेट हो गया है।”
मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि के कारण रोजगार के अवसर में इजाफा हुआ है। आउटपुट को बढ़ाने के लिए अप्रैल में कंपनियों ने कर्मचारियों की वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया है। सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 9 प्रतिशत कंपनियों ने अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती की है। इसमें स्थायी और अस्थायी अनुबंधों का मिश्रण शामिल है सर्वेक्षण में बताया गया कि अप्रैल में इनपुट लागत में चार महीनों में सबसे तेजी से वृद्धि हुई है। हालांकि, कंपनियां बढ़ी हुई लागत को ग्राहकों को ट्रांसफर कर पा रही है।

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