उत्तर प्रदेश में गेहूं किसान एमएसपी में हुये इजाफे से गदगद

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सहारनपुर{ गहरी खोज } : योगी सरकार द्वारा इस साल तय किये गये गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उत्तर प्रदेश के किसान गदगद है। इसका कारण है कि यूपी में सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रयास करके की जा रही खरीद से किसानों को खुले बाजार में प्रति क्विंटल ज्यादा भाव मिल रहा है।
पंजाब के बाद गेहूं की पैदावार करने वाला उत्तर प्रदेश दूसरा बड़ा राज्य है। अबकी गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल है। सरकारी एजेंसियों ने खरीद को लेकर पूरा दम लगाया हुआ है। इससे खुले बाजार में किसानों को लगातार ऊंचे दाम मिल रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में सरकारें आढतियों के जरिए गेहूं खरीदती है। इससे वहां के किसानों को सरकार समर्थित भाव ही मिल रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार बाजार और समर्थन मूल्य के अंतर के बराबर बोनस देती है। यूपी में गेहूं की सरकारी खरीद तो कम हो रही है पर बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण ऊंचे यानि 500 रुपए प्रति क्विंटल के दाम मिलने से किसान खुश हैं। सहारनपुर के कमिश्नर अटल कुमार राय रोज गेहूं खरीद की समीक्षा कर रहे हैं और अफसरों को खरीद बढ़ाने को लगातार प्रेरित और उत्साहित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल तक सहारनपुर मंडल में सरकार लक्ष्य के सापेक्ष 26.87 फीसद गेहूं की खरीद कर चुकी है यानि कुल 26463.007 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। किसानों को 6470.21 लाख रुपए का भुगतान किया गया। आरएफसी श्री कृष्ण ने बताया कि वर्ष 2021-22 में गेहूं खरीद का लक्ष्य एक लाख 98 हजार मीट्रिक टन था। जिसके सापेक्ष गेहूं की कुल खरीद 44 हजार मीट्रिक टन ही हो पाई थी।
सहारनपुर जिले में इस बार 30 अप्रैल तक 17969.317 मी. टन यानि 30.95 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर में 4057. 140 यानि 16.03 फीसद और शामली जनपद में 4406.550 मी.टन गेंहू खरीदा गया। कमिश्नर अटल कुमार राय ने बताया कि पूरे मंडल में 181 केंद्रों पर गेहूं की खरीद हो रही है। केंद्रों पर किसानों को तमाम जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि व्यापारियों की तरह हम भी किसानों के घर-घर जाकर खरीद कर रहे हैं इससे हमें लाभ हुआ है।
अटल कुमार राय ने कहा कि पूरे मंडल में कहीं भी किसान समर्थन मूल्य से कम पर गेहूं बेचने को विवश नहीं हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस बार पिछली बार से ज्यादा गेहूं की खरीद करने में सरकार सफल रहेगी। किसानों को 48 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है। सरकारी क्रय केंद्रों पर घटतौली बिल्कुल नहीं है। पिछली बार सरकारी समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल था। बाजार भाव उससे ऊंचा था। अबकी किसानों को पिछली बार से 150 रुपए प्रति क्विंटल सरकारी भाव ज्यादा मिल रहा है।

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