निकाय चुनावों की टालमटोल पर हाईकोर्ट की सख्ती, सयंम लोढ़ा की याचिका पर सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

जयपुर{ गहरी खोज }: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के बाद अब भाजपा सरकार भी स्थानीय निकायों के चुनाव समय पर न कराकर सवालों के घेरे में आ गई है। पंचायत चुनावों को पहले ही स्थगित कर चुकी सरकार ने अब 55 नगरपालिकाओं में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं, जिनका कार्यकाल नवंबर 2024 में पूरा हो चुका है। इस निर्णय को लेकर पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इसे “असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक” करार दिया है।
मंगलवार को जस्टिस श्रीचंद्रशेखर और जस्टिस आनंद शर्मा की डबल बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि नगर निकायों के चुनाव समय पर न कराना संविधान के 74वें संशोधन और नगरपालिका अधिनियम-2009 का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने तर्क दिया कि देश की सर्वोच्च अदालत भी स्पष्ट कर चुकी है कि सिर्फ आपदा जैसी स्थिति में ही चुनाव टाले जा सकते हैं, लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई औचित्य नहीं है।
सरकार की सफाई: तैयार हैं चुनाव कराने को राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार चुनाव कराने के लिए तैयार है और जल्द ही विस्तृत जवाब और कार्ययोजना अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी
उल्लेखनीय है कि इससे पहले राज्य सरकार ने जनवरी में प्रस्तावित ग्राम पंचायतों के चुनाव टालते हुए मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्त कर दिया था। सरकार ने उस समय दलील दी थी कि पंचायतों का पुनर्गठन और सीमांकन चल रहा है, जो मई-जून तक पूरा होगा। अब यही रवैया नगरीय निकायों में भी अपनाया गया है, जिससे लोकतंत्र की स्थानीय इकाइयों की स्वायत्तता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।