गुजरात बॉर्डर पर शराब तस्करी के 7 कॉरिडोर, आदिवासी अंचल बना शराब तस्करों का अभयारण्य

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भोपाल{ गहरी खोज } : मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भाजपा सरकार पर आदिवासी अंचलों को शराब तस्करों का अभयारण्य बनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का दावा है कि गुजरात बॉर्डर पर शराब तस्करी के लिए 7 कॉरिडोर बनाए गए हैं, जो आदिवासियों के खिलाफ एक साजिश है।पत्रकार वार्ता में आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि झाबुआ, अलीराजपुर, धार और रतलाम जैसे आदिवासी बहुल जिलों में शराब तस्करी का संगठित नेटवर्क चल रहा है, जिसका सालाना टर्नओवर 20 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
उन्होंने सरकार पर शराब माफिया से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता के संरक्षण के बिना इतना बड़ा नेटवर्क संभव नहीं है।भूरिया ने जोबट में हाल ही में पकड़ी गई एक करोड़ रुपये की शराब का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी कितनी ही खेपें हर महीने दूसरे राज्यों को भेजी जा रही हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि यदि धार्मिक स्थलों पर शराब बंदी की जा सकती है, तो आदिवासी इलाकों की समृद्ध विरासत, आस्था और संस्कृति सरकार के लिए मायने क्यों नहीं रखती?
कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि आदिवासी क्षेत्रों में महुआ को छोड़कर अन्य सभी शराबों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए, गुजरात बॉर्डर के सभी शराब ठेके तत्काल प्रभाव से बंद किए जाएं, शराब तस्करी पर कठोर कार्रवाई हो और दहेज, दारू और डीजे यानि ‘D3’ के खिलाफ चल रहे जन आंदोलन को सरकार का सहयोग और समर्थन मिले।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आदिवासियों पर अत्याचार बढ़े हैं, उन्हें अशिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी के दलदल में धकेला जा रहा है, उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं और अब नई पीढ़ी को नशे में डुबाने की कोशिश की जा रही है।कांग्रेस आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए चुप नहीं बैठेगी।

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