‘राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन..’, राज ठाकरे ने उद्धव के साथ सहयोग को लेकर दिया बड़ा बयान

नयी दिल्ली { गहरी खोज } : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है, जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ एक पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बारे में कहा कि उनके बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अगर महाराष्ट्र के हित में एक होने की जरूरत पड़ी, तो वह इसके लिए तैयार हैं।
राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र के हित के सामने हमारे झगड़े और विचार छोटे होते हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है, और ये झगड़े मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए महंगे पड़ सकते हैं। इसलिए मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एक साथ काम करना मुश्किल होना चाहिए। लेकिन इस बात का सवाल सिर्फ इच्छा का है। यह मेरी इच्छा और स्वार्थ का मामला नहीं है, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के हित का मामला है। मुझे लगता है कि सभी राजनीतिक दलों को मराठी लोगों के एकजुट होकर एक पार्टी बनानी चाहिए।”
राज ठाकरे ने 9 मार्च 2006 को शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की स्थापना की थी। यह कदम उन्होंने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से नाराजगी के चलते उठाया था। ऐसा माना जाता है कि बाल ठाकरे, शिवसेना के संस्थापक, अपने बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी में ज्यादा महत्व देने लगे थे, जिसके कारण राज ठाकरे असहज महसूस करने लगे और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई।
राज ठाकरे का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन में प्रचार किया, लेकिन विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को अकेले मैदान में उतारने का फैसला लिया। एमएनएस ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई।
इन दिनों राज ठाकरे मराठी भाषा के मुद्दे पर काफी आक्रामक नजर आ रहे हैं। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को गैर-मराठी भाषी लोगों से मराठी बोलवाने के लिए दबाव डालते हुए देखा गया है। हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला लिया, जिस पर राज ठाकरे ने विरोध जताया था।