राष्ट्रपति ने छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार और जल संचय-जनभागीदारी पुरस्कार प्रदान किए
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार और जल संचय-जनभागीदारी पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि जनसंख्या की तुलना में जल संसाधन सीमित होने के कारण देश में जल का कुशल उपयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने रेखांकित किया कि प्रभावी जल प्रबंधन व्यक्तियों, परिवारों, समाज और सरकार की भागीदारी से ही संभव है। जल का सक्षम उपयोग, एक वैश्विक अनिवार्यता है।
उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा में नदियाँ, झीलें और अन्य जलस्रोत पूजनीय हैं। हमारे राष्ट्रीय गीत में बंकिम चंद्र चटर्जी ने जो पहला शब्द लिखा था, वह है सुजलाम। इसका अर्थ है ‘प्रचुर जल संसाधनों से धन्य।’ यह तथ्य हमारे देश के लिए जल की प्राथमिकता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि जल संसाधनों का सर्वाधिक सक्षम तरीके से उपयोग करना हमारे सभी देशवासियों की जीवन-शैली का अभिन्न अंग होना चाहिए। व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सभी को जल संरक्षण के प्रति निरंतर सचेत रहना है। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि पिछले वर्ष शुरू की गई जल संचय-जनभागीदारी पहल के तहत 35 लाख से अधिक भूजल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों और उद्यमियों को कम से कम पानी का उपयोग करके, अधिक से अधिक उत्पादन के नए-नए तरीके अपनाने चाहिए। उत्साह के साथ व्यक्तिगत योगदान देने वाले प्रबुद्ध नागरिक भी जल महत्वपूर्ण हितधारक हैं। जल से जुड़ी चक्रीय अर्थव्यवस्था की प्रणालियों को अपनाकर सभी उद्योग तथा अन्य हितधारक जल-संसाधन का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं। कार्यक्रम में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य लोगों में जल के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें जल उपयोग के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। जल संचय जन भागीदारी (जेएसजेबी) पहल सामुदायिक भागीदारी और संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से कृत्रिम भूजल पुनर्भरण के लिए विविध, मापनीय और अनुकरणीय मॉडलों के उद्भव में अग्रणी रही है।
