सेना प्रमुख ने युवाओं से किया ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ आगे बढ़ने का आह्वान

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General-Dwivedi

नई दिल्ली { गहरी खोज } : भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने युवाओं से राष्ट्र प्रथम की भावना सर्वोपरि रखने का आह्वान किया है। सेना प्रमुख ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अनुशासित, आत्मविश्वासी और उद्देश्यपूर्ण नागरिक बनें और ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को सर्वोपरि रखें।
उन्होंने युवाओं को ऐसा नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया, जो ‘राष्ट्र प्रथम’ के आदर्श के प्रति समर्पित हों। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के सतना और रीवा क्षेत्र में स्थित शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों से यह संवाद किया है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मध्य प्रदेश में दो दिवसीय प्रवास किया और इस दौरान मध्य प्रदेश के सतना और रीवा के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों व शिक्षकों से मुलाकात की। यहां उन्होंने सतना के सरस्वती शिशु मंदिर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, रीवा के ठाकुर राणमत सिंह कॉलेज और श्याम शाह मेडिकल कॉलेज का दौरा किया।
उन्होंने इन शिक्षण संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों से संवाद भी किया। अपने प्रेरणादायी संबोधन में जनरल द्विवेदी ने युवाओं से कहा, “बड़ा सपना देखो, कड़ी मेहनत करो और अपने संस्कारों एवं नैतिक मूल्यों की जड़ें मजबूत रखो। असली सफलता चरित्र, करुणा और प्रतिबद्धता से मिलती है।”
सेना प्रमुख ने यहां मेडिकल कॉलेजों के छात्रों संग भी संवाद किया। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सैनिक और डॉक्टर, दोनों का मिशन समान है। दोनों जीवन बचाते हैं। दोनों का लक्ष्य दक्षता और करुणा के साथ सेवा करना है। सेना प्रमुख ने चिकित्सा समुदाय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर देश की अमूल्य सेवा कर रहे हैं और उनके योगदान से राष्ट्र मजबूत होता है। जनरल द्विवेदी ने युवाओं से बात करते हुए उन्हें निरंतर सीखते रहने, चुनौतियों के सामने दृढ़ रहने और देश की प्रगति में गर्वपूर्वक योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी विकसित भारत 2047 की मशाल थामे चल रही है। सेना प्रमुख का कहना था कि भारत की असली ताकत युवाओं की ऊर्जा, नवाचार और ईमानदारी में निहित है। अपने प्रेरक संदेश में उन्होंने युवाओं से कहा कि सपने बड़े देखो, विनम्र रहो, और गर्व के साथ सेवा करो। उत्साहित छात्रों के लिए सेना प्रमुख की यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक रही, बल्कि इसने राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को लेकर एक नई चेतना का संचार भी किया।

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