चेहरा और भेष बदलकर लौटना चाहता है जंगलराज : अमित शाह

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नीतीश ही एनडीए का चेहरा, कोई ‘एकनाथ शिंदे’ नहीं बनेगाभारत कोई धर्मशाला नहीं, घुसपैठियों को करेंगे बाहर

पटना { गहरी खोज }: बिहार विधानसभा चुनाव अपने निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुका है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही मोर्चों पर शब्दों की तलवारें तेज हो चुकी हैं। इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर से लेकर नक्सलवाद, पलायन और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में खुलकर अपनी बात रखी। शाह ने तीखे लहजे में कहा कि जंगलराज चेहरे और भेष बदलकर लौटना चाहता है। बिहार की जनता सावधान रहे, गलती से भी अगर महा-ठगबंधन की सरकार आई तो राज्य फिर से उसी अंधेरे में चला जाएगा।
गृह मंत्री ने एनडीए के अंदर नेतृत्व को लेकर चल रही अटकलों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं और उन्हीं के नेतृत्व में एनडीए चुनाव लड़ रहा है। इसमें कोई भ्रम नहीं है। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री का निर्णय विधायक दल करता है, लेकिन एनडीए के भीतर कोई असमंजस नहीं है। शाह ने कहा कि कुछ लोग हर चुनाव में एकनाथ शिंदे खोजने लगते हैं, लेकिन बिहार में नीतीश जी का नेतृत्व अटूट है।
तेजस्वी यादव के 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को अमित शाह ने अव्यावहारिक बताया और कहा कि इतना करने के लिए बिहार का बजट चार गुना बढ़ाना पड़ेगा। 12 लाख 50 हजार करोड़ रुपये कहां से आएंगे? जनता को समझना चाहिए कि ऐसे वादे सिर्फ छलावा हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को 10,000 रुपये देने का वादा वोट खरीदने की कोशिश नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का रोडमैप है। हमने ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य रखा है, यह कोई चुनावी जुमला नहीं।
शाह ने पलायन को बिहार की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि सरकार अब स्वरोजगार मॉडल पर काम कर रही है। अगर बिहार का युवा अपने गांव में ही 25,000 रुपये महीने कमाने लगे तो वह न मुंबई जाएगा, न केरल। हमने हर पंचायत में लघु उद्योग और स्वरोजगार के अवसर सृजित करने का खाका तैयार किया है। उन्होंने बताया कि बिजली, शौचालय, गैस और आवास जैसी सुविधाओं से नई नींव तैयार हो चुकी है। अब अगला कदम स्किल डेवलपमेंट और माइक्रो-उद्यमों का विस्तार है।
तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री बोले- आज भी आरजेडी के कार्यकर्ता लालू यादव के पैर छूकर टिकट लेते हैं। चेहरा भले तेजस्वी का हो, नियंत्रण वहीं का है। 17 महीने की सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे, तेजस्वी सिर्फ पद पर थे। जंगलराज का डीएनए वही है, बस चेहरा बदला है। प्रशांत किशोर पर सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि हर किसी को अपनी पार्टी बनाने का अधिकार है। देश में 1550 पार्टियां हैं, अब 1551 हो गई। हम 160 सीटें जीतने जा रहे हैं, बाकी में जो बंटना है, बंट जाए। उन्होंने दावा किया कि एनडीए दो-तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगा। अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा। पहले यह 130 जिलों तक फैला था, अब सिर्फ 11 बचे हैं। तीन बड़े नक्सली बच गए हैं- हिडमा, गणपति और देवो जी। ये भी ज्यादा दिन नहीं बचेंगे। शाह ने स्पष्ट किया कि सरेंडर करने वालों को छह महीने का रिहैब, स्किल ट्रेनिंग और रोजगार का अवसर दिया जा रहा है, ताकि वे मुख्यधारा में लौट सकें।
घुसपैठियों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए गृह मंत्री ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची से 35 लाख नाम हटे हैं जिनमें से कई घुसपैठियों के थे। घुसपैठ रोकना कोई चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा का मामला है। हमारे विरोधी वोट बैंक के लिए घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं। जबकि हम पहचान कर उन्हें बाहर निकालेंगे। भारत देश कोई धर्मशाला नहीं है।
बिहार के औद्योगिकीकरण पर शाह ने कहा कि बरौनी रिफाइनरी शुरू हो चुकी है। इथेनॉल उत्पादन में बिहार नंबर वन है और पीएम मित्रा पार्क जैसे प्रोजेक्ट राज्य को नई पहचान दे रहे हैं। शाह ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ केंद्र सरकार नक्सल जैसी सख्त रणनीति पर काम कर रही है। अब फोकस कार्टेल तोड़ने पर है, ताकि यह नेटवर्क हमेशा के लिए खत्म हो। बिहार में भाजपा के ‘पैन बिहार नेता’ के सवाल पर शाह ने कहा कि हम नेता नहीं बनाते, कार्यकर्ता तैयार करते हैं। जनता ही तय करेगी अगली पीढ़ी का नेता कौन होगा। हर जाति-वर्ग से हमारे पास युवा नेतृत्व तैयार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे लिए चुनाव सिर्फ सत्ता पाने का साधन नहीं, लोकसंग्रह और विचार विस्तार का अवसर है। बिहार की जनता ने हमेशा विकास की राजनीति को चुना है, इस बार भी चुनेगी।

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