भारत को और अधिक विकेंद्रीकरण की जरूरत, कुछ राज्य शक्तियां देना नहीं चाहते: ईएसी-पीएम

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के चेयरमैन महेंद्र देव ने कहा कि भारत को और अधिक विकेंद्रीकरण की जरूरत है, लेकिन कई राज्यों में स्थानीय परिषदों को शक्तियां सौंपने का विरोध हो रहा है। ग्रामीण विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए चौथे रोहिणी नैयर पुरस्कार समारोह में देव ने कहा कि चीन और अमेरिका में विकेंद्रीकरण का स्तर कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा, ”भारत को और अधिक विकेंद्रीकरण की जरूरत है, जिसमें पंचायतों और स्थानीय निकायों को अधिक शक्तियां देना, साथ ही ग्रामीण मजदूरी में सुधार के लिए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग शामिल होना चाहिए… कई राज्यों में स्थानीय परिषदों को शक्तियां सौंपने का विरोध हो रहा है।” देव ने कहा कि पंचायतों के माध्यम से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के कार्यान्वयन से न केवल मजदूरी में सुधार हुआ, बल्कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र में भरोसा भी बढ़ा है।
उन्होंने पुणे की सामाजिक उद्यमी विद्या परशुरामकर को पोषण को अधिक सुलभ, टिकाऊ और समुदाय-संचालित बनाने में उनके योगदान के लिए रोहिणी नैयर पुरस्कार प्रदान किया। परशुरामकर एग्रोजी ऑर्गेनिक्स और इसकी प्रमुख पहल ‘मिलेट्स नाउ’ का नेतृत्व करती हैं।
नैयर की स्मृति में 2022 में शुरू किए गए इस पुरस्कार के साथ 10 लाख रुपये की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और एक ट्रॉफी दी जाती है। रोहिणी नैयर पुरस्कार की शुरुआत नैयर के परिवार ने की थी। वह एक प्रसिद्ध विद्वान-प्रशासक थीं, जिन्होंने अपना ज्यादातर पेशेवर जीवन भारत में ग्रामीण विकास से संबंधित मुद्दों पर काम करते हुए बिताया।

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