कांग्रेस ने सहकारिता राज्य मंत्री मोहोल पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, मांगा इस्तीफा

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस ने केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल पर एक बिल्डर को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया है और उन्हें पद से तत्काल हटाया जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोढ़े पाटिल ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में श्री मोहोल पर सीधा आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार किया है और इस भ्रष्टाचार के उनके पास ठोस प्रमाण हैं। उनका कहना था कि केंद्रीय मंत्री के भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिए और जांच का काम पूरा होने तक श्री मोहोल को पद से हटाया जाना चाहिए।
श्री पाटिल ने कहा “पुणे से सांसद और सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने पुणे जैन हॉस्टल के सौदे में भूमिका निभाई है। उनका ताल्लुक हीराचंद नेमीचंद दिगंबर जैन हॉस्टल के जमीन की लेन-देन से है। हमारे पास इसकी पूरी क्रोनोलॉजी है। ये सीधा भ्रष्टाचार है और सत्ता का गलत इस्तेमाल है। इस तरह से भाजपा ने अडानी तैयार किया है और अब छोटे-छोटे अडानी तैयार कर रही है।”
उन्होंने कहा कि जैन हॉस्टल के भीतर एक मंदिर है और इस मंदिर का ट्रस्ट हीराचंद जी ने बनाया था। ट्रस्ट के नियम के अनुसार उसकी जमीन को किसी भी स्थिति में बेचा नहीं जा सकता है। ट्रस्ट की जमीन का इस्तेमाल शिक्षा, छात्रों की मदद और जैन मंदिर के लिए ही किया जा सकता है। अगर पैसे की कमी है, तो जमीन पर दुकान बनाने की अनुमति है और उससे प्राप्त किराए से धन जुटाया जा सकता है लेकिन जमीन किसी भी तरह से बेची नहीं जा सकती है।
कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार श्री मोहोल कहते हैं कि हीराचंद नेमीचंद दिगंबर जैन हॉस्टल के ट्रस्ट से वह बाहर निकल चुके हैं। लेकिन सच यह है कि श्री मोहोल को गोखले बिल्डर्स के मुनाफे की चिंता सताती रहती है। वे अपने पद पर रहते हुए इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। देश के संविधान ने मंदिरों को संरक्षण दिया गया है, उसके लिए कानून हैं लेकिन भाजपा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। साफ है कि भाजपा के लोगों का सिर्फ एक एजेंडा है-अपने ‘दोस्तों’ के लिए काम करो, उन्हें पैसा और मुनाफा दिलाओ, अमीर बनाओ।
उन्होंने कहा कि श्री मुरलीधर मोहोल पद से इस्तीफा दें और इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई एक बिल्डर चैरिटेबल ट्रस्ट, रजिस्ट्री ऑफिस, कॉर्पोरेशन और किसी कॉपरेटिव बैंक को एक साथ प्रेशर देकर अपना काम निकलवा सकता है या सहकारिता मंत्री के दबाव के बिना ऐसा हो पाना संभव है।

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