हरमनप्रीत का आउट होना मेरे लिए वरदान साबित हुआ, इससे ध्यान दोबारा मैच पर आया: जेमिमा

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नवी मुंबई{ गहरी खोज }: वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद शतक जमाकर भारत को फाइनल में पहुंचाने वाली जेमिमा रोड्रिग्स ने कहा कि हरमनप्रीत कौर का आउट होना उनके लिए एक “छुपा हुआ आशीर्वाद (ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़)” साबित हुआ। इससे उन्हें अपनी थकान भुलाकर फिर से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली। जेमिमा ने 134 गेंदों में 127* रनों की शानदार पारी खेली और महिलाओं के विश्व कप इतिहास में 339 रन के सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को जीत दिलाई। हरमनप्रीत (89) के साथ उन्होंने 167 रन की अहम साझेदारी की थी।
36वें ओवर में हरमनप्रीत के आउट होने पर दबाव बढ़ा, क्योंकि भारत इस टूर्नामेंट में कई बार मजबूत स्थिति से मैच गंवा चुका था।
जेमिमा ने बताया “मैं हरमन दी से कह रही थी कि हमें दोनों को मैच खत्म करना है। लेकिन जब वे आउट हुईं, तो वह मेरे लिए एक तरह से वरदान बन गया। मैं बहुत थक गई थी और ध्यान भटक रहा था। जब हरमन आउट हुईं तो लगा — अब जिम्मेदारी मेरी है, मुझे यहां टिकना है और उनके लिए रन बनाने हैं।” उन्होंने कहा कि इसके बाद वे सही मानसिक स्थिति में आ गईं और समझदारी से खेलती रहीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक जेमिमा ने कहा कि उनकी आस्था और प्रार्थना ने उन्हें चिंता से बाहर निकलने में मदद की।
उन्होंने बताया, “मैं थकान से चूर हो गई थी, कई बार मैं घुटनों पर बैठ जाती थी — यह सिर्फ ऊर्जा बचाने नहीं बल्कि भगवान से बात करने के लिए भी था। मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी, ऐसे में मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे संभाला।” टूर्नामेंट की शुरुआत में जेमिमा चिंता (Anxiety) से गुजर रही थीं और कई बार रो पड़ती थीं। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने उन्हें बहुत सहारा दिया। “मैं मां-पापा को फोन करके रोती थी। अरुंधति (रेड्डी) हर दिन मेरा हाल पूछती थी। स्मृति (मंधाना) नेट्स पर बस मेरे साथ खड़ी रहती थी। राधा यादव ने भी हमेशा मेरा ख्याल रखा।” उन्होंने कहा कि टीम को बड़े लक्ष्य का दबाव नहीं था क्योंकि DY पाटिल स्टेडियम की पिच बल्लेबाजों को मदद देती है। “हम जानते थे कि यहां कोई भी स्कोर चेज किया जा सकता है। बस मुझे क्रीज पर टिकना था, रन अपने आप आते जाते।” जेमिमा ने कहा कि भारत किसी टीम से नहीं, बल्कि हर पल को जीतने की सोच के साथ उतरा था।

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