भारत की फिनटेक लीडरशिप में शुरू हुआ एक नया अध्याय, मलेशिया में भी किया जा सकेगा जल्द यूपीआई का इस्तेमाल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }:मलेशिया की यात्रा करने वाले भारतीय बहुत जल्द अब पेमेंट के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का इस्तेमाल कर पाएंगे। ‘रेजरपे’ की ओर से गुरुवार को यह घोषणा भारत के डिजिटल पेमेंट इनोवेशन को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप के रूप में की गई। रेजरपे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इनोवेशन की कोई सीमा नहीं होती। भारत की फिनटेक लीडरशिप में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है।” कंपनी द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार, रेजरपे की मलेशियाई सब्सिडियरी कर्लेक और एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड के बीच एक साझेदारी हुई है। इस एग्रीमेंट को 7 से 9 अक्टूबर तक चले ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के दौरान फाइनल किया गया, जो कि यूपीआई को देश की सीमाओं के बाहर भी स्वीकार करने को लेकर एक मील का पत्थर है। इस कदम के साथ मलेशिया की यात्रा करने वाले लाखों भारतीयों के लिए उनके यूपीआई ऐप का इस्तेमाल कर लोकल बिजनेसेस को इंस्टेंट और फास्ट पेमेंट करना आसान हो जाएगा। उन्हें इंटरनेशनल कार्ड या करेंसी एक्सचेंज से जुड़ी परेशानियां नहीं आएंगी।
आंकड़े बताते हैं कि बीते वर्ष 2024 में 10 लाख से अधिक भारतीय मलेशिया की यात्रा पर गए, जहां विजिटर्स ने 110 बिलियन से अधिक राशि खर्च की। यह इससे पिछले वर्ष की तुलना में 71.7 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि थी। दोनों देशों के बीच यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विजिटर्स के लिए एक आसान, कैशलेस और किफायती पेमेंट सॉल्यूशन की जरूरत समझी जा रही थी, जिसे देखते हुए इस कदम को उठाया गया।
मलेशिया में यूपीआई के इस्तेमाल से ट्रांजैक्शन आसान और सहज हो जाएगा। साथ ही, इससे फॉरेन एक्सचेंज की लागत में कमी आएगी। इससे मलेशिया की यात्रा करने वाले भारतीयों के साथ-साथ लोकल मर्चेंट्स को भी उनकी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी।
रेजरपे कर्लेक के सीईओ केविन ली ने कहा कि मलेशिया में यूपीआई की शुरुआत से यात्रियों के लिए उनकी खरीदारी के लिए खर्च करना आसान हो जाएगा साथ ही, मलेशियाई बिजनेस को डिजिटल इकोनॉमी में ढलने में मदद मिलेगी।
इस डेवलपमेंट पर रेजरपे के मैनेजिंग डायरेक्टर और को-फाउंडर शशांक कुमार ने कहा, “यूपीआई ने भारत में पेमेंट करने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है, यह दिखाता है कि जब इनोवेशन और इनक्लूजन बड़े पैमाने पर एक साथ आते हैं तो क्या कुछ संभव हो सकता है।”

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