तीनों सेनाओं के एकीकरण में बजटीय संतुलन बनाये रखते हुए सक्रिय योगदान दे रक्षा लेखा विभाग : राजनाथ

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण के लिए चल रही कवायद के बीच रक्षा लेखा विभाग से उनकी जरूरतों के अनुसार बजटीय समीकरणों को बनाये रखते हुए इस महत्वपूर्ण पहल में सक्रिय योगदान देने को कहा है। श्री सिंह ने बुधवार को यहां रक्षा लेखा विभाग के 278 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा लेखा विभाग की तीनों सेनाओं तक पहुंच है और उन्हें तीनों की जरूरतों के बारे में भलीभांति पता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब तीनों सेनाओं में एकीकरण का काम तेजी से चल रहा है तो लेखा विभाग को इस काम को सरल तथा प्रभावी बनाने के लिए अपनी भूमिका को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लेखा विभाग के समक्ष यह चुनौती है कि वह अनुसंधान और विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बजटीय समीकरणों को बरकरार रखे और एकीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाये। उन्होंने कहा , ” आज के समय में अनुसंधान और विकास की जो जरूरत है उसको देखते हुए रक्षा लेखा विभाग के पास एक बड़ी चुनौती यह है, कि किस प्रकार से वह बजटीय समीकरण को बरकरार रखते हुए अनुसंधान और विकास की राशि की प्रक्रिया को भी सुगम बनाये।” श्री सिंह ने कहा कि रक्षा लेखा विभाग को तीनों सेनाओं के साथ बैठकर विचार विमर्श करना चाहिए कि वे तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण को सुविधाजनक और सुगम कैसे बना सकते हैं। उन्होंने कहा , ” आप सभी, सेनाओं के साथ बैठकर, विचार-विमर्श करें और यह देखें, कि आप लोग तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण को कितना आसान बना सकते हैं। यह हमारी तीनों सेनाओं के एकीकरण में अच्छे परिणाम दे सकता है, ऐसा मेरा विश्वास है। “
रक्षा लेखा विभाग के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह विभाग सशस्त्र सेनाओं और सहयोगी संगठनों के वित्तीय प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सलाह, लेखा और बजट प्रबंधन एक तरफ तो रक्षा सेवाओं की वित्तीय स्थिति को सुनिश्चित करती है वहीं दूसरी तरफ संचालन तैयारियों को भी सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि रखा लेखा विभाग ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वित्तीय मजबूती सुनिश्चित की, संसाधनों की पूर्ति की और संचालन तत्परता को बनाए रखा। उन्होंने कहा , ” यह केवल एक लेखा संगठन नहीं है , यह एक ऐसा प्रवर्तक है जो राष्ट्र के आर्थिक चक्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करता है। यह एक अदृश्य सेतु है जो वित्त और सशस्त्र बलों को जोड़ता है।”
रक्षा मंत्री ने नयी पीढी के जीएसटी सुधारों के कारण रक्षा खरीद की लागत कम होने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे अधिक से अधिक रक्षा खरीद की जा सकेगी।

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