एलसीए तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान के लिए भारत को अमेरिका से मिला चौथा जीई-404 इंजन

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  • एचएएल को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक जीई एयरोस्पेस से 12 इंजन मिलने की उम्मीद

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को चौथा इंजन सौंप दिया है। इसका इस्तेमाल एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों में किया जाएगा, जिन्हें निकट भविष्य में भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाना है। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत को 12 जीई-404 इंजन मिलने की उम्मीद है। एचएएल का लक्ष्य इस साल अक्टूबर तक पहला विमान तैयार करना है, जिसमें से तीन पहले ही तैयार हैं और अंतिम परीक्षणों का इंतजार है। इंजन को लेकर बुनियादी समस्याओं का समाधान होने के बाद अब विमान के उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद बढ़ी है।
भारत ने फरवरी 2021 में एचएएल के साथ 48 हजार करोड़ का एक समझौता किया था। इस अनुबंध में 73 तेजस मार्क-1ए जेट और 10 प्रशिक्षक विमान शामिल थे। भारतीय वायु सेना को 2024 में पहली खेप मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इस बीच कंपनी जीई एयरोस्पेस (जीई) ने एफ-404 इंजन का उत्पादन बंद कर दिया। भारतीय वायु सेना के साथ फरवरी, 2021 में अनुबंध होने के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इसी साल मार्च से नए विमान की आपूर्ति होनी थी, लेकिन इसमें लगने वाले इंजन की अमेरिका से आपूर्ति में देरी की वजह से इंतजार लंबा हो गया।
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कंपनी ने इसी साल 26 मार्च को पहला इंजन भारत को सौंपा। इसके बाद 13 जुलाई को जीई ने दूसरा इंजन भेजा। एचएएल को एलसीए मार्क-1ए के लिए तीसरा जीई-404 इंजन 11 सितंबर को मिला। कंपनी ने उसी समय एक और इंजन सितंबर के अंत तक देने का बादा किया था, जो माह के आखिरी दिन मिल गया, जिसकी पुष्टि आज एचएएल ने की है। अब भारत को चार इंजन मिल चुके हैं, जिससे एलसीए मार्क-1ए विमानों के उत्पादन और आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद बढ़ी है। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत को 12 जीई-404 इंजन मिलने की उम्मीद है। ये इंजन भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान में लगाए जाएंगे, जिसे भारतीय वायु सेना में शामिल किया जा रहा है।
एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने कहा कि एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कीमत वाले 113 जीई-404 इंजनों के ऑर्डर के लिए बातचीत पूरी हो गई है और अनुबंध पर अक्टूबर में हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। रक्षा मंत्रालय की ओर से 25 सितंबर को दिए गए 97 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के नए ऑर्डर में 68 सिंगल-सीट लड़ाकू विमानों और 29 ट्विन-सीट ट्रेनर विमानों के इंजन शामिल होंगे, जिनकी डिलीवरी 2027-28 में शुरू होगी और छह वर्षों में पूरी होगी। एचएएल का लक्ष्य इस साल अक्टूबर तक पहला विमान तैयार करना है, जिसमें से तीन पहले ही तैयार हैं और अंतिम परीक्षणों का इंतज़ार है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2032-33 तक हम सभी 180 विमानों का निर्माण पूरा कर लेंगे।
एचएएल अध्यक्ष ने रक्षा मंत्रालय के साथ नया अनुबंध होने के बाद कहा था कि पहले वाले ऑर्डर की तुलना में इस ऑर्डर में 70 फीसदी स्वदेशी सामग्री होगी, जिसमें उपकरण, धातु, कोई भी स्पेयर पार्ट या जो कुछ भी हम बनाते हैं, वह हो सकती है। ये सभी सामग्री ज्यादातर भारतीय निजी क्षेत्र से आपूर्ति की जाएगी, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हम उन आपूर्ति शृंखलाओं को 70 फीसदी तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि हम स्वदेशी रडार, ईडब्ल्यू सुइट और कई अन्य उपकरण को एकीकृत करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार आत्मनिर्भरता पर जोर देकर ऑर्डर दे रही है, जिससे न केवल एचएएल में, बल्कि हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में रोजगार पैदा होंगे।
उन्होंने कहा कि एचएएल जीई के एफ-414 इंजनों के लिए 80 फीसदी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर भी बातचीत कर रहा है, जो उन्नत एलसीए मार्क-2 और स्वदेशी उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) को शक्ति प्रदान करेगा। डॉ. सुनील ने कहा कि जीई ने हमें एक साल में 12 इंजन देने का वादा किया था, लेकिन अब शायद हमें वित्तीय वर्ष के अंत तक 12 इंजन मिल जाएंगे। इस साल हमें 10 इंजन मिल सकते हैं। बाकी इंजन हमें अगले साल मार्च तक मिल जाएंगे। हम 10वें विमान का ढांचा बना चुके हैं और 11वां विमान तैयार है। इंजन को लेकर बुनियादी समस्याओं का समाधान हो गया है, इसलिए अब उत्पादन में तेजी आएगी। जीई ने अगले साल 20 इंजन देने का वादा किया है, जिसके लिए शीर्ष प्रबंधन के साथ एक बैठक की है।

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