किसने किया था रावण का दाह संस्कार? भाई विभीषण ने इस वजह से कर दिया था मना

धर्म { गहरी खोज } : नवरात्रि की समाप्ति के अगले दिन दशहरा पर्व मनाया जाता है जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल ये त्योहार 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जायेगा। इस दिन जगह-जगह पर रावण के पुतले बनाकर उसका दहन किया जाता है। लेकिन रावण दहन के समय क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया कि रावण का दाह संस्कार आखिर किसने किया था। कम ही लोग इस बारे में जानते होंगे। चलिए आपको बताते हैं रावण का अंतिम संस्कार किसने किया था।
रावण का दाह संस्कार किसने किया था?
रावण का अंतिम संस्कार वैसे तो उसके भाई विभीषण ने किया था लेकिन शुरुआत में उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था। धार्मिक मान्यताओं अनुसार विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उसका भाई पापी और दुराचारी था। तब भगवान राम ने विभीषण को समझाते हुए कहा कि मृत्यु के साथ ही मनुष्य शरीर के सभी पाप खत्म हो जाते हैं ऐसे में रावण के अंतिम संस्कार में कोई बुराई नहीं है। तब जाकर विभीषण अपने भाई का दाह संस्कार करने के लिए राजी हुए।
एस दूसरी कथा के अनुसार विभीषण अपने हाथों से अपने बड़े भाई का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे। तब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण से विभीषण को समझाने के लिए कहा। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित्र मानस में इसका वर्ण किया है..
बंधु दसा बिलोकि, दुख कीन्हा। तब प्रभु अनुजाहि आयसु दीन्हा।।
लछिमन तेहि, बहु बिधि समझायो। बहुरि बिभीषन प्रभु पहिं आयो।।
इसका अर्थ है- विभीषण ने अपने भाई की दशा देखकर दुख किया। तब प्रभु राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कहा कि विभिषण का धैर्य बंधाओं। तब लक्ष्मण जी ने विभिषण को समझाया जिसके बाद विभीषण रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए।