पुराने संस्थानों का नाम बदलना उचित परंपरा नहीं: गहलोत

जयपुर{ गहरी खोज }: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) की स्थापना के राज्य सरकार के फैसले पर कटाक्ष करते हुए मंगलवार को कहा कि पुराने संस्थानों का नाम बदलना उचित परंपरा नहीं है।
गहलोत ने ‘एक्स’ पर लिखा कि राज्य सरकार ने जयपुर में ‘एम्स’ की तर्ज पर राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) अस्पताल बनाने का फैसला लिया परन्तु इस घोषणा के तहत कोई नया संस्थान बनाने की बजाय पहले से बनी राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) और स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का ही अधिग्रहण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले से स्थापित दो संस्थानों की व्यवस्था बिगड़ेगी एवं इसका प्रतिकूल असर चिकित्सकों एवं मरीजों पर पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार आरयूएचएस पहले से एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है जिसका कोरोना के दौरान बेहतरीन उपचार के लिए पूरी दुनिया में नाम प्रचारित हुआ। उन्होंने लिखा, ‘‘आरयूएचएस को रिम्स बनाने से यहां के मेडिकल सीटें भी खत्म हो जाएंगी। एक पुराने संस्थान को खत्म करने की बजाय भाजपा सरकार को एक नए संस्थान रिम्स का निर्माण करना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा कि अगर रिम्स के रूप में एक नए संस्थान का निर्माण होता तो जनता को अधिक लाभ मिलता एवं भजनलाल सरकार के लिए भी एक नयी उपलब्धि दर्ज होती।
गहलोत के अनुसार, ‘‘भाजपा के लोग दावा करते थे कि ‘डबल इंजन’ सरकार बनने के बाद राज्य को केंद्र से मिलने वाले कोष की कोई कमी नहीं रहेगी। ऐसे में राज्य के पास अगर कोष नहीं है तो रिम्स के लिए विशेष ‘ग्रांट’ (अनुदान) लाकर एक नये संस्थान का निर्माण करें। पहले से बने संस्थानों का नाम बदलना उचित परंपरा नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान, जयपुर विधेयक, 2025 सोमवार को राज्य विधानसभा में पारित किया गया।