कलम ही नहीं, तलवार की भी पूजा की है कायस्थ समाज ने : योगी

गोरखपुर{ गहरी खोज }: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें कायस्थ समाज के महापुरुषों ने अपना विशिष्ट योगदान न दिया हो। कायस्थ समाज ने सिर्फ कलम ही नहीं, तलवार की भी पूजा की है। यह समाज जानता है कि कलम और तलवार दोनों के समन्वय से ही समाज व राष्ट्र की व्यवस्था चलती है।
मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को श्रीचित्रगुप्त मंदिर सभा गोरखपुर की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। गोरखपुर क्लब में आयोजित समारोह में नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि माना गया है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की विशिष्ट काया से कायस्थ का प्रादुर्भाव हुआ है। भगवान श्रीचित्रगुप्त को कर्म की साधना के अनुसार सृष्टि का लेखा-जोखा रखने वाले और श्रेष्ठ कार्य करने की प्रेरणा देने वाले भगवान की प्रतिष्ठा प्राप्त है।
योगी ने कहा कि कायस्थ समाज को प्रबुद्ध समाज माना जाता है। धर्म, अर्थ, प्रशासन, व्यवसाय, विधि, कला, चिकित्सा, शिक्षा समेत हरेक क्षेत्र में इस समाज ने विशिष्ट योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि गुलामी के कालखंड में देश जब भारतीयता की विस्मृति के दौर से गुजर रहा था तब शिकागो में गर्व से कहो हम हिन्दू हैं का उद्घोष कर भारतीयता के मानव कल्याण के मंत्र का स्मरण कराने वाले स्वामी विवेकानंद कायस्थ कुल परंपरा से ही थे। स्वाधीनता आंदोलन में तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस, इसी परंपरा के थे। जब सभी मत, मजहब, क्षेत्र, भाषा को एकसूत्र में पिरोने वाले संविधान के निर्माण की बात आई तो जो नाम सामने आया, वह डॉ. राजेंद्र प्रसाद जो देश के पहले राष्ट्रपति बने। इसी परंपरा के थे। स्वतंत्र भारत में देश के दुश्मनों को जवाब देने वाले, 1965 की लड़ाई में नाको चने चबवाकर पाकिस्तान को उसकी औकात बताने वाले लाल बहादुर शास्त्री भी इसी परंपरा के थे। 1975 में जब देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा था तब लोकतंत्र को बचाने के लिए सामने आए जयप्रकाश जी, इसी समाज के थे। यही नहीं जब अयोध्या में राम मंदिर बनने की बात दुरूह लग रही थी, तब इसी समाज के महर्षि महेश योगी ने हॉलैंड में भगवान राम के नाम का सिक्का जारी कर दिया था। हिंदी साहित्य में उपन्यास की विशिष्ट शैली देने वाले मुंशी प्रेमचंद जी भी इसी समाज के महापुरुष थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मंदिर सभा की तरफ से पूर्व अध्यक्ष हरिनंदन श्रीवास्तव की मांग पर बक्शीपुर चौक का नाम भगवान श्री चित्रगुप्त के नाम पर करने पर अपनी स्वीकृति दे दी। इसे लेकर उन्होंने महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव को प्रस्ताव बनाने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बक्शीपुर बाजार की पहचान ही कलम और किताब से है। ऐसे में यहां के चौराहे का नाम भगवान श्री चित्रगुप्त को समर्पित होना सराहनीय पहल होगी।
इस अवसर पर प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने श्रीचित्रगुप्त मंदिर सभा गोरखपुर के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजेश चंद्र श्रीवास्तव, मंत्री अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव सहित कार्यकारिणी के 13 पदाधिकारियों, सौ से अधिक कार्यकारिणी सदस्यों, सोलह समितियों के संयोजकों व सह संयोजकों को शपथ दिलाई। स्वागत संबोधन श्रीचित्रगुप्त मंदिर सभा के पूर्व अध्यक्ष हरिनंदन श्रीवास्तव ने तथा संचालन रीता श्रीवास्तव ने किया। समारोह में विधायक विपिन सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, श्रीचित्रगुप्त मंदिर सभा के निवर्तमान अध्यक्ष आलोक रंजन वर्मा, निवर्तमान मंत्री शुभेंदु सिंह श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन और श्रीचित्रगुप्त मंदिर सभा के सदस्य उपस्थित रहे।