राहुल गांधी की बौखलाहट

संपादकीय { गहरी खोज }: बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान मधुबनी में एक सभा को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निर्वाचन आयुक्तों का चयन करते हैं और चुनावों की तारीखें, निर्वाचन आयोग नहीं, बल्कि भाजपा तय करती है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कुछ साल पहले अमित शाह ने कई बार यह बयान दिया कि भाजपा की सरकार 40-50 साल तक रहेगी। पहले ये बयान अजीब लगा, अमित शाह को कैसे पता कि 40-50 साल तक सरकार चलेगी। अब सच्चाई सामने आ गई है। उन्होंने दावा किया कि अमित शाह ऐसा इसलिए कह पा रहे थे, क्योंकि ये लोग ‘वोट चोरी’ करते हैं। राहुल गांधी का कहना था कि 2023 में भाजपा ने नया कानून बनाया कि निर्वाचन आयुक्त पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। सवाल है कि ऐसा कानून क्यों बनाया गया? जवाब है- ‘वोट चोरी’ करवाने के लिए। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वोट का अधिकार छिन जाने के बाद लोगों को कोई दूसरा अधिकार नहीं मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि संविधान में लिखा है कि हिंदुस्तान के हर नागरिक को एक वोट मिलेगा। अंबानी का बेटा हो या देश का गरीब युवा, दोनों को एक समान वोट मिलता है। राहुल गांधी ने दावा किया कि लोगों पर निजी हमले करना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) की शैली है और उसने महात्मा गांधी के खिलाफ भी झूठ बोला था और उन्हें बदनाम किया था।
राहुल गांधी जिस तरह लोगों में चुनाव व्यवस्था और चुनाव आयोग को लेकर भ्रम व भ्रांतियां फैला रहे हैं वह उनकी अपनी बौखलाहट को ही दर्शाती है। सत्ता सुख में जन्मे व पले-बढ़े हुए राहुल गांधी का अब सत्ता सुख एक सीमा तक छिन गया है। अपने आप को प्रधानमंत्री व मंत्रिमंडल से ऊपर मानकर चलने वाले राहुल गांधी व गांधी परिवार पुनः सत्ता में आने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सब तरह के प्रयास कर रहा है। भारतीय राजनीति में आ रहे परिवर्तन को समझ कर अपनी रणनीति को बदलने की बजाये पुरानी तुष्टिकरण और ‘बांटो और राज करो’ वाली राह पर ही चले जा रहा है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य आखिरी चरण में है और चुनाव आयोग का कहना है कि अब तक किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने अपनी आपत्ति दर्ज नहीं कराई। गौरतलब है कि आपत्ति दर्ज कराने की आखिरी तारीख 31 अगस्त है। जबकि आम मतदाता की तरफ से 1 लाख 40 हजार से अधिक आपत्तियां आ चुकी हैं। आपत्तियां दर्ज कराने के लिए चुनाव आयोग ने 1 लाख 60 हजार से अधिक बूथ स्तर एजेंट तैनात किए हैं। आयोग के अनुसार आयोग की तरफ से मतदाताओं तक जो फार्म दिए गए थे उनमें से 99.11 प्रतिशत (7.24) करोड़ फार्म वापस मिल चुके हैं। आयोग को 3 लाख 80 हजार नये मतदाताओं के आवेदन मिले हैं, इनका निपटारा 31 अगस्त तक हो जाएगा।
चुनाव आयोग ने बिहार के मतदाता से पांच प्रश्न पूछे हैं 1. मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए कि नहीं। 2. मृत लोगों के नाम कटने चाहिए कि नहीं। 3. जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में दो या अधिक जगह पर हैं, उनके नाम एक जगह होने चाहिए कि नहीं। 4. जो लोग दूसरी जगह बस गये हैं उनके नाम हटने चाहिए कि नहीं। 5. विदेशियों के नाम हटाए जाने चाहिए कि नहीं?
चुनाव आयोग द्वारा तथ्यों सहित स्थिति को स्पष्ट कर दिया गया है। इसके बावजूद राहुल गांधी देश की चुनावी व्यवस्था को चुनौती देने के साथ-साथ चुनाव आयोग पर झूठे आरोप लगाकर भ्रम व भ्रांतियां फैला रहे हैं। यह बात राहुल गांधी की बौखलाहट को तो दर्शा ही रही है साथ में उनकी निजी छवि व साख भी कमजोर कर रही है। जिससे उनको तथा कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक हानि ही होगी। अगर इसी नकारात्मक राह पर राहुल गांधी चलते रहे तो गृहमंत्री अमित शाह की भविष्यवाणी राहुल गांधी की कथनी व करनी के कारण सत्य साबित हो सकती है।