बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय ब्रह्मचारी को नहीं मिली जमानत, आठ माह से हैं जेल में

ढाका{ गहरी खोज }:बांग्लादेश में चट्टोग्राम की एक अदालत ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। चिन्मय ब्रह्मचारी पिछले साल नवंबर से सलाखों के पीछे हैं। अदालत ने सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन से संबद्ध रहे हिंदू संत चिन्मय को वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के केस सहित पांच मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, हिंदू संत की जमानत याचिका पर गुरुवार को चट्टोग्राम मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश हसनुल इस्लाम की अदालत ने सुनवाई की। हिंदू संत के वकीलों ने कोतवाली में दर्ज कई मामलों में जमानत मांगी। इन मामलों में हत्या, पुलिस पर हमला, तोड़फोड़ और न्याय में बाधा डालने जैसे आरोप शामिल हैं।
सहायक लोक अभियोजक रेहानुल वाजेद चौधरी ने बताया कि अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी। ढाका के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक कानूनी टीम ने चिन्मय का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान अदालत में बड़ी संख्या में पुलिस और सैन्य बल के जवान तैनात रहे।
एक जुलाई को पुलिस ने वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के सिलसिले में चिन्मय और 38 अन्य लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इससे पहले दो जनवरी को अदालत ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उल्लेखनीय है कि चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा ने 25 नवंबर की शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया था। तब से ब्रह्मचारी जेल में बंद हैं।
उनकी गिरफ्तारी के विरोध में ढाका के शाहबाग और चटगांव में कई दिनों तक लोगों ने प्रदर्शन किया था। 38 वर्षीय हिंदू संत चिन्मय को देशद्रोह के गंभीर आरोप का सामना करना पड़ा रहा है। चिन्मय मूल रूप से चटगांव के सतकनिया उपजिला के रहने वाले हैं। वह 2007 से चटगांव के हथाजारी स्थित पुंडरीक धाम के प्रमुख रहे हैं। वह सनातन जागरण मंच के संस्थापक हैं। मंच ने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है।