नई स्थानांतरण नीति से मिलेगी राहत

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: साय सरकार बनने के बाद से राज्य के शासकीय कर्मचारी इंतजार कर रहे थे कि सरकार नई स्थानांतरण नीति कब बनाएगी और राज्य के कर्मचारियों का तबादला एक जगह से दूसरी जगह कब होना शुरू होगा।साय सरकार ने नई स्थानांतरण नीति बना दी है और उस पर अमल भी छह जून से शुरू कर दिया जाएगा। स्थानांतरण के आवेदन ६ से १३ जून तक किया जा सकेगा। जिला स्तर पर स्थानांतरण १४ जून से शुरू हो जाएगा और २५ जून तक चलेगा।जिला स्तर पर तबादला के लिए जिले के प्रभारी मंत्री मंजूरी देंगे और प्रदेशस्तर के तबादला के लिए विभाग के मंत्री मंजूरी देंगे। कैबिनेट की बैठक में तबादला नीति के साथ ही नौ प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है।
तबादला नीति को देखने से ही पता चलता है, इसमें कर्मचारियों की सुविधा का ख्याल रखा गया है। सीएम साय के पास शिक्षा विभाग है, वह राज्य के हर वर्ग लोगों के सुख दुख, परेशानी के प्रति जितने संवेदनशील है, अपने शिक्षा विभाग के प्रति भी उन्होंने खूब संवेदनशीलता दिखाई है।नई तबादला नीति में यह संवेदनशीलता दिखाई देती है। नई नीति के मुताबिक कर्मचारी का तबादला कम से कम दो साल की सेवा के बाद ही किया जा सकेगा, इससे कम से कम कर्मचारी व अधिकारी एक जगह दो साल तक काम तो कर सकेंगे।इससे कर्मचारी दो साल निश्चिंत होकर काम तो कर सकता है।उसे इस बात का डर तो नहीं रहेगा कि अधिकारी नाराज हो गया है तो उसका तबादला एक साल में ही करा देगा।
दो साल बाद तबादला की नीति तो है लेकिन यह लचीली है यानी इस नीति के कारण किसी को तकलीफ न हो इसका भी सीेएम व शिक्षामंत्री ने ख्याल रखा है।यदि कोई गंभीर रूप से बीमार है तो उसके लिए दो साल की सेवा अनिवार्य नहीं है,इसी तरह यदि कोई शारीरिक रूप से अक्षम है तो उसको भी दो साल से पहले तबादले की छूट होगी।यदि कोई एक साल बाद रिटायर हो रहा है तो उसकाे तबादला नहीं किया जाएगा।अऩसूचित क्षेत्रों में तबादला तब हो सकेगा जब उसकी जगह कोई आने को तैयार होगा यानी अऩुसूचित क्षेत्र तबादला तब तक नहीं होगा जब तक उसकी जगह कोई उसी वक्त आने के नहीं मिल जाता है।
अनुसूचित क्षेत्र से कोई तबादला चाहता है तो उसको अपनी जगह के लिए एक कर्मचारी तलाशना होगा। इससे अनुसूचित क्षेत्र में काम करने वालों की कमी नहीं होगी और क्षेत्र का काम भी प्रभावित नहीं होगा। होता यह है कि अनुसूचित क्षेत्र से लोग तबादला तो चाहते हैं लेकिन वहां कोई जाना नहीं चाहता है।नई नीति के मुताबिक सुकमा,बीजापुर, नारायणपुर जैसे जिलों में रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष प्रयास किया जाएगा यानी सरकार ऐसे जिलों में जहां पद रिक्त होने के बाद लोग जाना नहीं चाहते है, इससे पद लंबे समय तक रिक्त रहता है। नई नीति में सरकार ऐसे पदों को भरने के लिए विशेष प्रयास करेगी। इस विशेष प्रयास का क्या परिणाम होता है आने वाले दिनों मेें साफ हो जाएगा।
सरकार ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का तबादला कुल कर्मचारियों का १० से १५ प्रतिशत फिक्स कर दिया है। इससे इस वर्ग के ज्यादा कर्मचारियों का तबादला एक बार में नहीं हो सकेगा।यह प्रतिशत इतना कम है कि इससे कहीं भी काम सुचारु रूप से चलता रहेगा. काम प्रभावित नहीं होगा।सरकारी नौकरी मेें पति एक जगह तो पत्नी दूसरी जगह नौकरी करती है तो दोनों को बहुत पऱेशानी होती है, बच्चों को भी परेशानी होती है, इसलिए सरकार का यह नीति कि पत्नी व पत्नी की पदस्थापना एक ही जगह होगी। यानी जहां पति है, वही पत्नी की पदस्थापना हो सकेगी।इससे उऩका गृहस्थ जीवन सुखी रहेगा। बच्चों को माता पिता दोनों का प्यार मिल सकेगा।
नई तबादला नीति में सरकार ने ग्रामीण-शहरी संतुलन सहित पारदर्शिता का ख्याल रखा है,स्थानांतरण के सभी आदेश ई-आफिस से जारी होंगे इससे अधिकारी स्तर पर जो भ्रष्टाचार होता है,उस पर रोक लगेगी।भ्रष्टाचार रोकने के लिए ही यह व्यवस्था भी की गई है कि जिला स्तर पर निर्धारित समयावधि में तबादला आदेश जारी कर उसी तिथि में आदेश की प्रति सामान्य प्रशासन विभाग को भेजने कहा गया है।कई लोगों का ऐसी जगह तबादला कर दिया जाता है जहां वह जाना नहीं चाहते हैं, ऐसे लोगों को आपत्ति करने केलिए १५ दिन का समय दिया गया है।इससे वह अधिकारी मनमानी नहींं कर सकेंगे जो सजा के तौर पर कर्मचारी को कहीं दूर तबादला करा देते थे और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती थी।
साय सरकार ने शिक्षा विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का प्रयास किया है।शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार तबादला व पोस्टिंग में होता है। जब तक शिक्षा विभाग सीएम के पास है, इसमें भ्रष्टाचार होने की उम्मीद कम है। लेकिन हर पार्टी के नेता कार्यकर्ता तबादला,पोस्टिंग में कमाने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।पिछली सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री ड़़ा.प्रेमसाय सिंह तबादला व पोस्टिंग के चलते बदनाम हुए थे और इस्तीफा देना पड़ा था।सीएम साय ने अपने एक साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के प्रति जो सख्ती दिखाई है, उससे ऐसा नहीं लगता है कि ट्रांसफर पोस्टिग को लेकर जो खेल चल रहा था, वह पहले की तरह चल सकेगा।