हमने कहा है तो विशेष सत्र बुलाना चाहिए

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: चाहे आदमी हो, परिवार हो, समाज हो या कोई राजनीतिक,सामाजिक,आर्थिक संगठन हो सबका अपना ईगो होता है। आदमी अकेला होता है तो उसका ईगो कम होता है लेकिन जैसे ही उसकी संख्या बढ़ जाती है उसका ईगो भी बढ़ जाता है।संख्या दो गुनी हो जाए तो ईगो भी दोगुना बडा़ हो जाता है। आदमी की संख्या जितनी बढ़ जाती है, संगठन का समूह का ईगो उतना बडा हो जाता है।जब ईगो बहुत बडा़ हो जाता है तो उसको कभी नहीं लगता है कि वह कुछ गलत सोच सकता है।वह कुछ गलत कह सकता है।उसे तो यही लगता है कि मैंने सोचा है तो वह सही है, मैंने कह दिया वही सही है और मैंने जैसा कह दिया है, वैसा ही होना चाहिए।
पहलगाम से लेकर आपरेशन सिंदूर तक गत एक माह में बहुत कुछ घटा है।कांग्रेस तो पाकिस्तान के कहने पर सैन्य कार्रवाई रुकने के बाद से मांग कर रही थी कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर देश को बताया जाए कि सैन्य कार्रवाई किस हालात में रोकी गई,सैन्य कार्रवाई रोकने का श्रेय लेने की कोशिश यूएस ने क्यों की।अब आतंकवाद से निपटने की हमारी रणनीति क्या होगी,क्या हम पाकिस्तान को दुनिया में कूटनीतिक रूप से अलग थलग करने में सफल हो पाए।सरकार कांग्रेस की मांग पर विशेष सत्र नहीं बुलाई तो अब कांग्रेस सपा,टीएमसी,डीएमके,शिवसेना यूबीटी,आरजेडी,नेकां,माकपा,मुश्लिम लीग,भाकपा,आरएसपी,झामुमो,भाकपा एमएल आदि दलों के साथ मिलकर सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।कांग्रेस के अकेले मांग करने पर सरकार ने कांग्रेस अकेले मांग कर रही है,इसलिए संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाया तो अब कांग्रेस विपक्ष के साथ मांग कर रही है कि अब तो विपक्ष मांग कर रहा है।
अब अगर सरकार नहीं बुलाएगी तो कांग्रेस आलोचना करेगी, सरकार तानाशाही कर रही है,लोकतंत्र का अपमान कर रही है, संसद का अपमान कर रही है,कहेगी का विपक्ष के बुलाने पर भी सरकार संसद का विशेष सत्र नहीं बुला रही है।कांग्रेस का अपना ईगो है कि वह कह रही है तो सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए।उसके बाद कांग्रेस से बड़ा ईगो विपक्ष का है।वह भी यही कहेगा कि जब विपक्ष चाह रहा है तो सरकार संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुला रही है।मतलब हम कह रहे है तो सरकार बुलाने से मना कैसे कर सकती है।यानी विपक्ष चाहता है कि जब उसने कह दिया तो सरकार को कुछ सोचना नहीं चाहिए और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। विपक्ष सिर्फ संसद का विशेष संत्र बुलाने की मांग कर सकता है। यह उसका अधिकार है, लेकिन संसद सत्र का विशेष सत्र किसी मामले में बुलाना है या नहीं बुलाना है तो यह सरकार विशेष अधिकार है।
सरकार का मत है कि जुलाई में संसद का मानसून सत्र होने वाला है,जो अगस्त तक चलेगा फिर जून में संसद का विशेष सत्र बुलाने की क्या जरूरत है।सरकार का मानना है कि जब संसद का सत्र बुलाया जा रहा है तो विपक्ष को जो भी सवाल पूछना है, उसे मानसून सत्र में पूछने का मौका मिलेगा।माना जाता है कि देश में युध्द या सीमा पर सैन्य संघर्ष को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कोई परंपरा नहीं है,६२ में पीएम नेहरू ने जरूर संसद का विशेष सत्र बुलाकर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया था, इसके बाद ६५,७१ व ९९ में युध्द के बाद संसद का कोई विशेष सत्र नहीं बुलाया गया है।पिछली सरकारों के समय भी कई आपरेशन चलाए गए थे लेकिन किसी आपरेशन के बाद तब की सरकारों न भी विशेष सत्र नहीं बुलाया था।
सरकार की तरफ से, सेना की तरफ से वह सब बताया जा चुका है जो भी बताने लायक है।पाकिस्तान व आतंकवाद के खिलाफ विदेशों में सात प्रतिनिधिमंडल भेजकर भी बताया गया है कि पाकिस्तान किस तरह आतंकवाद का पोषक है और उसका उपयोग कैसे भारत के खिलाफ करता है।सीडीसी ने भी बता दिया कि भारत को नुकसान हुआ है और पाकिस्तान को भारत से ज्यादा नुकसान हुआ है।पाकिस्तान खुद स्वीकार चुका है कि भारत ने उसको बहुत नुकसान पहुंचाया है।सरकार सेना कह चुकी है कि आतंकवाद के खिलाफ आपरेशन सिंदूर सफल रहा है, पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो भारत ने मुंहतोड़ जवाब देकर पाकिस्तान को बता दिया है कि भारत उससे मजबूत है और इतना मजबूत है कि कुछ दिन में जो करना चाहे कर सकता है और पाकिस्तान उसे रोक नहीं सकता।दुनिया मान रही है कि भारत ने तीन दिन में अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया, जबिक इजराइल व रूस साल भर में वह सब नहीं कर पाए हैं जो वह करना चाहते हैं।
पिछले एक माह में सेना ने जो कुछ किया है, वह सेना की उपलब्धि तो है ही, साथ ही वह मोदी सरकार की भी उपलब्धि है, सेना की जीत देश की जीत, सरकार की जीत मानी जाती है।इसलिए विपक्ष चिंतित है कि मोदी सरकार व भाजपा को इसका लाभ बिहार चुनाव में हो सकता है, इसलिए वह खास तौर पर मोदी सरकार को आपरेशन सिंदूर,सैन्य कार्रवाई को लेकर फेल बताना चाहती है। वह संसद का उपयोग इसी के लिए करना चाहती थी इसलिए सरकार ने बुलाना जरूरी नहीं समझा। सरकार का मालूम है कि वह वही प्रश्न जो विशेष सत्र में पूछे जाएंगे, वही प्रश्न तो संसद के मानसून सत्र में पूछे जाएंगे इसलिए सरकार ने संसद का विशेष न बुुलाकर सरकार का समय भी बचाया है देश का पैसा भी बचाया है।