वाटर बम

संपादकीय { गहरी खोज }: सिंधु जल संधि को लेकर दुष्प्रचार कर रहे पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने निर्णय लिया था कि 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जाए। भारत के प्रतिनिधि हरीश ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि हम सिंधु जल संधि के संबंध में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचनाओं का जवाब देने के लिए बाध्य हैं। भारत ने नदी के ऊपरी तट पर स्थित देश होने के नाते हमेशा जिम्मेदारी से काम किया है। यह पाकिस्तान है, जो सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है। हरीश ने स्लोवेनिया के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। इस बैठक का विषय ‘सशस्त्र संघर्ष के बीच जल की सुरक्षा आम नागरिकों के जीवन की सुरक्षा’ था। हरीश ने बताया कि भारत ने पिछले दो साल में कई बार पाकिस्तान से संधि में संशोधनों पर चर्चा करने के लिए कहा, लेकिन इस्लामाबाद इससे इन्कार करता रहा है। पिछले 65 साल में न केवल सीमा पार आतंकवादी हमलों के माध्यम से बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, जलवायु परिवर्तन व जनसांख्यिकीय परिवर्तन की बढ़ती आवश्यकताओं के संदर्भ में दूरगामी बदलाव हुए हैं। बांध के बुनियादी ढांचे के लिए प्रौद्योगिकी में बदलाव किया है, ताकि पानी के उपयोग एवं संचालन की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। कुछ पुराने बांध को लेकर सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताएं हैं। पाकिस्तान इस बुनियादी ढांचे में संधि के तहत स्वीकार्य किसी भी बदलाव और प्रविधानों में किसी भी संशोधन को लगातार रोकता रहा है। 2012 में आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में तुलबुल परियोजना पर हमला किया था। ये निंदनीय कृत्य हमारी परियोजनाओं, आम नागरिकों के जीवन की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। इसी पृष्ठभूमि में भारत ने घोषणा की है कि जब तक आतंकवाद का वैश्विक केंद्र पाक सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन खत्म नहीं करता, तब तक यह संधि स्थगित रहेगी। यह स्पष्ट है कि यह पाक ही है, जो सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है। पाक एक ऐसा देश जो आतंकियों और नागरिकों में अंतर नहीं करता, उसके पास नागरिकों की सुरक्षा पर बात करने का हक नहीं है।
- सिंधु जल संधि की प्रस्तावना में कहा है कि इसे सद्भावना और मैत्री की भावना से किया। पिछले साढ़े छह दशकों में पाक ने भारत पर तीन युद्ध और हजारों आतंकवादी हमले कर संधि की भावना का उल्लंघन किया।
- पिछले चार दशकों में आतंकवादी हमलों में 20 हजार से अधिक भारतीयों की जान गई।
- भारत ने इस पूरी अवधि में असाधारण धैर्य और उदारता दिखाई है। फिर भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का उद्देश्य आम नागरिकों के जीवन, धार्मिक सद्भाव और आर्थिक समृद्धि को नुकसान पहुंचाना रहा है।
गौरतलब है कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान सिंधु, झेलम और चेनाब के पानी का उपयोग करता है, जबकि भारत को रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का उपयोग करने का अधिकार है। सिंधु, झेलम और चेनाब के पानी से पाकिस्तान में 80 प्रतिशत खेतों की सिंचाई होती है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सीनेटर अली जफर ने संसद में कहा था कि सिंधु हमारी जीवन रेखा है। हमें अकाल का सामना करना पड़ सकता है। यह दरअसल हमारे ऊपर मंडरा रहा एक वाटर बम है, जिसे हमें निष्क्रिय करना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद पर भारत की जीरो-टालरेंस नीति का उल्लेख करते हुए पिछले सप्ताह कहा था कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान को उन नदियों से पानी नहीं मिलेगा, जिन पर भारत का अधिकार है। हालांकि इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आइएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने इस टिप्पणी को अनुचित विचार बताकर खारिज कर दिया। अल जजीरा को दिए गए साक्षात्कार में सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ने कहा कि 24 करोड़ लोगों के लिए पानी रोकना अव्यावहारिक है।
धरातल का सत्य यही है भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को लेकर जो धैर्य दिखाया उसको पाकिस्तान ने भारत की कमजोरी समझा और इसी कारण अपनी नकारात्मक नीतियों पर चलता रहा है। आतंकियों को समर्थन और संरक्षण देने वाले पाकिस्तान को भारत ने अब उसको समझ आने वाली भाषा में जवाब दिया तो अब भारत के निर्णय को वाटर बम करार दे रहा है। पाकिस्तान को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कथन हमेशा याद रखना होगा कि ‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।’