नेता अपने शब्दों का ख्याल रखें !

संपादकीय { गहरी खोज }: ‘मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी क्षमता दुनिया को बदलना नहीं है बल्कि खुद को बदलना है। अपने विचारों पर ध्यान से नजर रखें, क्योंकि वह आप के शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों को संभालें और देखें क्योंकि वे आपके कार्य बन जाते जाएंगे। अपने कार्यों पर विचार करें और उनका मूल्यांकन करें, क्योंकि वे आपकी आदतें बन जाएंगे। अपनी आदतों को पहचानें और देखें क्योंकि वे आपके मूल्य बन जाएंगे। अपने मूल्यों को समझें और अपनाएं क्योंकि वे आपकी नीति बन जाएंगे।’
महात्मा गांधी ने अतीत में जो कहा वह आज के नेताओं को अवश्य ध्यान में रखकर बोलना चाहिए। ‘आपरेशन सिन्दूर’ को लेकर सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस ने ‘आपरेशन सिन्दूर’ के स्थगित होने के बाद मोदी सरकार को निशाने पर लेकर उसके नेताओं ने जो कुछ कहा है, उससे कांग्रेस को जो राजनीतिक नुकसान हो रहा है उसका शायद वह अंदाजा लगाने में असफल हो रही है।
‘आपरेशन सिन्दूर’ के स्थगित होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने जो कहा है वह दुश्मन देश पाकिस्तान को राहत देने वाला था। इसलिए वहां के मीडिया ने उसे हाथों हाथ लपका और पाकिस्तान सहित विश्व में प्रचारित कर दिया। राजनीति का सारा खेल शब्दजाल ही है। जनता की तालियों के लिए या तालियों के बीच नेता क्या बोल जाते हैं उनके शब्दों पर जनता के दिलों दिमाग में क्या प्रभाव पड़ता है उसके बारे नेता लोग कम ही चिंतित होते हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को एक छोटी-मोटी झड़प बताया वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा ‘आपरेशन सिन्दूर’ को लेकर दिये बयानों पर पलटवार करते हुए जो कहा उससे उनकी अपनी और कांग्रेस पार्टी की छवि ही कमजोर हुई है। कांग्रेस नेता ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक कथित टिप्पणी को लेकर कहा कि यह ‘पाप’ है और ‘सिन्दूर का सौदा’ है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा विदेश मंत्री को जवाब देना चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पूछा कि हमने कितने भारतीय विमान गंवा दिए क्योंकि पाकिस्तान को पहले से पता था। उन्होंने कहा कि देश को सच जानने का पूरा हक है।
कांग्रेस और राहुल गांधी ने जयशंकर के एक बयान का वीडियो साझा करते हुए आरोप लगाया है कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर हमलों से पहले, भारत सरकार ने पाकिस्तान को इस बारे में सूचित किया था। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इस तरह के दावों को गलत बताया था कि विदेश मंत्री जयशंकर ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ शुरू होने से पहले पाकिस्तान को सचेत किया था।
राहुल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था कि विदेश मंत्री जयशंकर की चुप्पी न सिर्फ सच बता रही है, बल्कि घातक भी है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मैं फिर से पूहूंगा कि हमने कितने भारतीय विमान गंवा दिए क्योंकि पाकिस्तान को पहले से पता था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कोई चूक नहीं थी, बल्कि यह एक अपराध है। राहुल ने यह भी कहा कि देश को सच जानने का हक है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश मंत्री के बयान पर कुछ सवाल पूछे हैं। यह बहुत अहम है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-अलग देशों में एक बात दोहराते रहे कि उन्होंने युद्ध रुकवाने के लिए मध्यस्थता की। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने एक बहुत खौफनाक बात यह भी बोली कि उन्होंने भारत को व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्ध रुकवाया। यानी ‘सिन्दूर का सौदा’ होता रहा, प्रधानमंत्री चुप रहे। विदेश मंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के स्थगित होने के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र बीकानेर के पलाना में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि अब हर आतंकी हमले की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और यह कीमत पाकिस्तान की सेना और उसकी अर्थव्यवस्था चुकाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान के साथ न ट्रेड होगा, न टॉक, अब तो सिर्फ पी.ओ.के. पर बात होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार पाकिस्तान को सीधे चेताया और भविष्य में आतंकी गतिविधियों पर आर-पार का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने नाल एयरबेस को भी निशाना बनाने की कोशिश की थी परन्तु वह इस एयरबेस को रत्तीभर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाया। पाकिस्तान एक बात भूल गया कि अब मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोदी का दिमाग ठंडा रहता है, लेकिन लहू गर्म रहता है और अब तो मोदी की नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है। उन्होंने साफ कहा कि भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को अब महंगा पड़ेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर अपनी भावनाओं को स्वयं रचित कविता में इस प्रकार बयान -किया
.जो सिंदूर मिटाने निकले थे,
उन्हें मिट्टी में मिलाया है।
जो हिंदुस्तान का लहू बहाते थे,
उनसे हर कतरे का हिसाब चुकाया है।
जो सोचते थे भारत चुप रहेगा,
आज वो घरों में दुबके पड़े हैं।
जो अपने हथियारों पर घमंड करते थे,
आज वो मलबे के ढेर में दबे हुए हैं।
यह शोध-प्रतिशोध का खेल नहीं,
आतंक का फन कुचलने की,
यही नीति है, यही रीति है, यही भारत है,
नया भारत है।
यह न्याय का नया स्वरूप है।
यह ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ है।
यह सिर्फ आक्रोश नहीं है,
यह समर्थ भारत का रौद्र रूप है।
यह भारत का नया स्वरूप है।
पहले घर में घुसकर किया था वार,
अब सीधा सीने पर किया है प्रहार।
प्रधानमंत्री मोदी ने बीकानेर में देशवासियों को संबोधित करते हुए जो कहा, उस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री से पूछा कि ‘आपका खून हमेशा कैमरे के सामने ही क्यों खौलता है?’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी, हल्के भाषण देना बंद कीजिए। आपने भारत के सम्मान के साथ समझौता किया है। आपने ट्रंप के आगे झुककर भारत के हितों का त्याग क्यों किया? आतंकवाद पर पाकिस्तान के बयान का आपने भरोसा क्यों कर लिया? इससे पहले कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने एक बार फिर फिल्मों की तरह खोखले डायलाग का सहारा लिया है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जब विश्व के विभिन्न देशों का दौरा कर ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बारे तथा नये भारत की आतंकवाद के प्रति नीति और पाकिस्तान द्वारा ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के प्रति किये जा रहे दुष्प्रचार का जबाव देने निकले हुए हैं, ऐसे समय में देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके नेताओं के जो बयान आ रहे हैं वह देशहित में नहीं। दुश्मन देश पाकिस्तान विपक्षी दलों के नेताओं विशेषतया कांग्रेस व उसके नेताओं द्वारा दिए बयानों को आधार बनाकर अपने हित अनुसार उनका इस्तेमाल कर रहा है।
राजनीतिक रूप से ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की सफलता का श्रेय मोदी व उनके सहयोगी भाजपा लेगी ठीक उस तरह जिस तरह 1971 के युद्ध का कांग्रेस आज तक लेती आ रही है। उस समय के विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से ऊपर उठकर इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा’ कहकर सम्मानित किया था। आज राहुल गांधी व खरगे उतना नहीं कह व कर सकते यह बात समझी जा सकती है, लेकिन बोलने से पहले शब्दों का तो ख्याल वह कर सकते हैं।