पाकिस्तान होगा बेनकाब

संपादकीय { गहरी खोज }: आतंकवाद के मुद्दे को लेकर भारत की नीति स्पष्ट करने के लिए सात प्रतिनिधिमंडल विश्व के 33 देशों में जाएंगे। यह दल वहां के सांसदों, सरकारी प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों से मुलाकात करके पहलगाम में हुए आतंकी हमले से लेकर पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को दिए जा रहे समर्थन व संरक्षण के बारे तथ्यों सहित स्थिति स्पष्ट करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ हाल में भारत की सैन्य कार्रवाई को ‘न्यू नॉर्मल’ नीति बताया था। भारत का रुख स्पष्ट है कि अब आतंकी वारदात को युद्ध माना जाएगा और जरूरत पड़ी तो सीमा पार भी कार्रवाई करेंगे। सात हिस्सों में बंटी इस 51 सदस्यीय टीम का दौरा 23 मई से शुरू होगा और तीन जून को समाप्त होगा। इस यात्रा के दौरान यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय टीम उन देशों का दौरा नहीं करेगी, जिन्होंने आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की मदद की। इस प्रकार, तुर्किये, चीन और अजरबैजान जैसे देशों को इस दौरे से बाहर रखा गया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक उन देशों को खास तौर पर तवज्जो दी गई है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य हैं। यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों में से चीन को छोड़कर अन्य चारों देश अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस का दौरा भारतीय प्रतिनिधिमंडल करेगा। इसी तरह से 10 अस्थाई सदस्यों में से पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़कर मौजूदा अन्य आठ अस्थाई सदस्य देशों अल्जीरिया, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, सिऐरा लियोन, गुयाना, पनामा, स्लोवेनिया और ग्रीस की यात्रा पर भारतीय टीम जाएगी। पहलगाम हमले के बाद भी पीएम नरेन्द्र मोदी ने चीन के अलावा यूएनएससी के अन्य स्थाई सदस्यों के प्रमुखों से टेलीफोन पर बात की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 10 अस्थाई सदस्यों में पाकिस्तान को छोड़कर अन्य नौ सदस्यों के विदेश मंत्रियों के साथ विमर्श किया था। इन सभी को भारत में सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के समर्थन में चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई थी। विदेश मंत्रालय का मानना है कि तुर्किये और चीन ने भारत के विचारों को नजरअंदाज किया है, इसलिए अब उन्हें अपने पक्ष के बारे में जानकारी देने का कोई मतलब नहीं है। भारतीय दल इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) के कई सदस्य देशों की यात्रा करेगा, जिनमें कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मलेशिया, यूएई, कतर और मिस्र शामिल हैं। इन देशों के साथ भारत के पारंपरिक रिश्ते हैं। पहलगाम हमले के समय, प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। सऊदी अरब पाकिस्तान का भी मित्र देश है, लेकिन तब उसने न सिर्फ इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मदद की पेशकश भी की थी। गौरतलब है कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विदेश यात्रा पर जा रहे भारतीय सांसदों के दल को भारत-पाकिस्तान के रिश्तों की वर्तमान स्थिति और पाकिस्तान सरकार द्वारा वैश्विक आतंकवाद को समर्थन देने की नीति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने सांसदों को बताया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई अन्य देशों में भी फैल चुका है। मिसरी ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों का पालन नहीं करता है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने आपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों और उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
सरकार द्वारा उठाया गया उपरोक्त कदम स्वागत योग्य है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर जो झूठ पाकिस्तान बोल रहा है उसको लेकर तथा जिस तरह पाकिस्तान आतंकवादियों को समर्थन व संरक्षण देता चला आ रहा है और स्वयं को आतंकवाद से पीड़ित होने का दावा कर रहा है ऐसी दोहरी नीति अपनाकर चलने वाले पाकिस्तान को बेनकाब करना समय की मांग है। मोदी सरकार द्वारा उठाए इस कदम को लेकर भारत के भीतर राजनीतिक विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है, यह गलत व दुःखदाई है, क्योंकि मामला देश की सुरक्षा व हित से जुड़ा है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर सरकार के इस कदम का सभी राजनीतिक दलों को समर्थन करना चाहिए, क्योंकि मामला पाकिस्तान को बेनकाब करने का है।