दूर दृष्टि और नवाचार की यात्रा पर मप्र !

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संपादकीय { गहरी खोज }: राजवाड़ा, यानी इंदौर का ऐतिहासिक हृदय स्थल, न केवल होलकर राजवंश की सत्ता का प्रतीक रहा है, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक चेतना का मूल केन्द्र भी रहा है। मल्हारराव होलकर के उत्तराधिकारियों द्वारा निर्मित यह सात-मंजि़ला भवन मराठा, मु$गल और फ्रेंच स्थापत्य का अद्भुत संगम है। 1948 में जब यशवंतराव होलकर द्वितीय ने यहां अंतिम बार राजदरबार सजाया, वो केवल एक युग का अवसान नहीं था, बल्कि लोकतांत्रिक भविष्य की पूर्व पीठिका भी थी।अब, 77 वर्षों बाद, उसी राजवाड़ा में मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव की अध्यक्षता में जब प्रदेश मंत्रिमंडल ने ऐतिहासिक निर्णय लिए, तो यह प्रशासनिक परंपरा और नवोन्मेष की प्रतीकात्मक पुनरावृत्ति बन गया।मध्यप्रदेश अब केवल भौगोलिक इकाई नहीं, नीति और नवाचार की दृष्टि से विकसित भारत का केंद्रीय घटक बनता जा रहा है।डॉ। मोहन यादव की कार्यशैली में उत्साह के साथ-साथ रणनीतिक धैर्य है। वे प्रदेश को योजनाओं की घोषणाओं से निकालकर परिणामों की संस्कृति की ओर ले जा रहे हैं।2023 के बाद प्रारंभ योजनाएं केवल आर्थिक संकेतक नहीं, जीवन के समग्र उत्थान की नींव हैं। विशेषकर कृषि-आधारित संरचना से संतुलन बनाते हुए सेवा, उद्योग और नवाचार क्षेत्रों में श्रमबल को विभाजित करने की सोच, एक संरचनात्मक क्रांति है। आगामी तीन वर्षों में प्रति व्यक्ति आय ?1।6 लाख से ? 22 लाख प्रतिवर्ष तक ले जाने का लक्षित संकल्प, एक दूरदर्शी साहस का परिचायक है। दृष्टि पत्र के अनुसार 2047 तक प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय लगभग 24 लाख होने की उम्मीद है।दरअसल, नगरीय नियोजन के संदर्भ में इंदौर और उज्जैन के लिए महानगर विकास निगम अथवा विशेष प्राधिकरण की संकल्पना, नगरीय भारत के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है। इससे यातायात, जल, स्वच्छता और सार्वजनिक परिवहन की योजनाओं में समन्वय और दीर्घ कालिकता आएगी।पर्यटन क्षेत्र में सरकार धार्मिक, लोक और इको-पर्यटन की त्रिवेणी को आगे बढ़ा रही है। अब राज्य टाइगर स्टेट से आगे बढक़र पैंथर स्टेट बनने की ओर अग्रसर है।कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, बांधवगढ़ जैसे राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य अब केवल जैव-विविधता के केंद्र नहीं, बल्कि वैश्विक पर्यटकों के आकर्षण बिंदु बनते जा रहे हैं। सरकार इसके लिए अनुकूल पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर,जैसे इको-लॉज, सस्टेनेबल ट्रांजिट, और लोक गाइड नेटवर्क की योजनाबद्ध संरचना तैयार कर रही है। यह विकास केवल आर्थिक नहीं, पर्यावरणीय न्याय और आजीविका संतुलन का संकेतक भी है।
इन समस्त योजनाओं की सफलता में देश के बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारियों में से एक अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला की भूमिका उल्लेखनीय रही है। उनकी निर्णय क्षमता, कार्यान्वयन दक्षता और नगरीय प्रशासन में दूर दृष्टि ने योजनाओं को ज़मीन पर आकार दिया है। उनके द्वारा प्रस्तुत विकसित मध्यप्रदेश ;2047’ अब स्वप्न नहीं, एक नीतिगत यात्रा बन चुका है, जहां शासन, प्रशासन और जनता तीनों भागीदार हैं। और यदि यही दृष्टि, साहस व सहभागिता बनी रही, तो मध्यप्रदेश न केवल विकसित भारत का अंग होगा, बल्कि उसकी प्रेरणा और प्रतिमान भी बनेगा। विकास दृष्टिकोण के लिए यह अति आवश्यक है कि हर क्षेत्र में लोक सहभागिता को भी विशेष महत्व दिया जाए । मध्यप्रदेश के पास समुद्र का किनारा ,रेतीला रगिस्तान और बर्फीली पहाडिय़ों को छोडक़र प्रकृति ने सब कुछ दिया है । मध्य प्रदेश में सप्तसिंगापुर छिपे हुए है। सही दिशा में यदि अपने सपनों को साकार करने के प्रयास किया जाएं तो मध्य प्रदेश की दशा चमत्कारिक रूप से बदली जा सकती है। हमारे सपनों के 2047 के मध्य प्रदेश के लिए व्यवस्था और समाज सभी को मिलकर संपूर्ण रूप से समर्पित होकर पूरी निष्ठा से प्रयास करना होंगे।

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