भारत कोई धर्मशाला नहीं: उच्चत्तम न्यायालय

0
images (7)

संपादकीय { गहरी खोज }: उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व के. विनोद चन्द्रन की पीठ ने सुभास्करन उर्फ जीवन उर्फ राजा उर्फ प्रभा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि क्या भारत को दुनियाभर के शरणार्थियों को शरण देनी चाहिए? हम पहले से 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं। यह कोई धर्मशाला नहीं, जहां हम विदेशी नागरिकों को शरण दें। इससे पहले सुभास्करन को वापस भेजे जाने पर रोक लगाने और मद्रास हाईकोर्ट का आदेश रद्द करने की मांग करते हुए उसके वकील वैरावन एएस ने कहा था कि अगर उसे वापस श्रीलंका भेजा तो उसकी जान को खतरा है। पत्नी व बच्चा भारत में ही रहते हैं। उसे भी भारत में ही शरणार्थी शिविर में परिवार के साथ रहने की इजाजत दे दी जाए। कोर्ट ने मांग ठुकराते कहा कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन नहीं हुआ है, क्योंकि उसकी हिरासत वैध थी। भारत में बसने का मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। सुभास्करन को वापस जाना होगा। कोर्ट ने कहा कि अगर आप शरणार्थी हैं, तो आपको वापस जाना होगा। जब वकील ने श्रीलंका में जान को खतरा बताया तो कोर्ट ने कहा कि वह किसी अन्य देश में शरणार्थी का दर्जा प्राप्त करे। यहां नहीं रह सकता। सुभास्करन को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी ठहराया गया था और निचली अदलत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। मद्रास हाईकोर्ट ने सजा घटाकर सात साल कर दी, लेकिन आदेश दिया कि सजा पूरा होने के बाद उसे तत्काल भारत छोड़ना होगा। सुभास्करन पर उग्रवादी संगठन लिट्टे को पुनर्जीवित करने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप था। सुप्रीम कोर्ट रोहिंग्याओं को लेकर गत शुक्रवार को याचिकाकर्ता को फटकार लगा चुकी है। कोर्ट ने कहा था कि जब देश कठिन समय से गुजर रहा है, तब आप इस तरह की काल्पनिक याचिकाएं लेकर आ रहे हैं।
देश के उच्चत्तम न्यायालय के आदेश से स्पष्ट हैं कि भारत कोई धर्मशाला नहीं कि कोई भी ऐरा गैरा आकर ठहर जाए लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि पं. बंगाल सहित देश के कई राज्यों में अवैध रूप से बांग्लादेश के नागरिक लाखों नहीं, करोड़ों की संख्या में बसे हुए हैं और उन्हें यहां बसाने का कार्य केवल और केवल राजनीतिक लाभ हानि को मद्देनज़र रखकर दशकों से होता चला आ रहा है। अवैध ढंग से आए लोगों के राशन कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक बन जाते हैं और यह लोग यहां मतदान करने में भी सफल हो जाते हैं।
एक समाचार अनुसार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बांग्लादेशियों को अवैध रूप से बसाने में कांग्रेस नेता का हाथ सामने आ रहा है। एटीएस को जांच में पता चला है कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दौरान पार्षद रहे अमित दास ने अवैध घुसपैठियों का सहयोग किया। दास ने पद का गलत इस्तेमाल किया। अवैध घुसपैठियों को स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र अपने लेटर हैड पर दिया। इसके आधार पर राशन कार्ड, आधार कार्ड बनाए गए। एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि बांग्लादेशी भाइयों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया जा चुका है। वहीं दिल्ली में कालिंदी कुंज स्थित मस्जिद में रह रहे आठ रोहिंग्या पकड़े गए।
भारत की बढ़ती जनसंख्या अपने आप में देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। उसके साथ ही अगर अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश के नागरिकों को भारत में बसने की खुली छूट दी जाएगी तो मामला काफी गंभीर हो जाएगा। अवैध रूप से रहने वाले लोगों को जीवन की बुनियादी सुविधाएं तो देनी ही पड़ेंगी। 140 करोड़ लोगों को बुनियादी सुविधाओं देना भी आज एक चुनौती से कम नहीं, देश के गरीब लोगों के लिए सराकर ने एक नहीं अनेक योजनाएं चलाई हुई हैं। अवैध ढंग से रह रहे लोगों की बढ़ती संख्या देश के नागरिकों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं पर कुप्रभाव ही डालेगी, यह बात देश के राजनीतिक दलों व उनके नेताओं को भली भांति समझ लेनी चाहिए।
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश में उपरोक्त भावनाओं को ही प्रकट किया है। समाज और सरकार दोनों को अवैध रूप से रह रहे श्रीलंका, पाकिस्तान या बांग्लादेश सहित अन्य देशों से आए लोग जो अवैध ढंग से रह रहे को चिन्हित कर उनके पैतृक देशों में भेजने का कार्य शुरू करना चाहिए। अगर ऐसा न हुआ तो अवैध रूप से रह रहे लोग भारत के विकास में एक बड़ी बाधा के रूप में सामने आयेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *