बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल

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संपादकीय { गहरी खोज }: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में आतंकियों द्वारा 26 निर्दोष हिन्दू पर्यटकों की धर्म पूछकर जब हत्या की गई तो उसके बाद आतंकियों को तथा उनको संरक्षण व समर्थन देने वाले आका को सबक सिखाने के लिए मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसके अंतर्गत पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया और हमले में 100 के करीब आतंकियों की मौत हो गई। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट कह दिया था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल और केवल आतंकियों के ठिकाने को नष्ट करने के लिए है। पाकिस्तान के विरुद्ध नहीं, लेकिन पाकिस्तान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अपने विरुद्ध समझा और पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया स्वरुप भारत के विभिन्न सैन्य केन्द्रों और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए 400 के करीब ड्रोन व मिसाइलों से हमला किया। पाकिस्तान के तमाम हमलों को भारतीय सेना ने असफल किया और पाकिस्तान के हमले के जवाब में 10 मई को भारत ने पाकिस्तान के हवाई अड्डों पर हमला किया जो सफल रहा। पाकिस्तान की हवाई व्यवस्था को भी भारत ने ध्वस्त कर दिया।
पिछले सात दशकों में शायद पहली बार था कि भारत ने पाक के जवाब में पहले हमला किया हो। हमले की सफलता इसी बात से आंकी जा सकती है कि पाकिस्तान भारत की मिसाइलों व ड्रोन को रोकने में पूरी तरह असफल रहा और परिणाम स्वरूप जहां पाकिस्तान की हवाई व्यवस्था नष्ट हुई, वहीं 6 से अधिक हवाई अड्डों को भारी नुकसान हुआ। पाकिस्तान ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि भारत इतना बड़ा हमला उस पर करेगा। पाकिस्तान को लगता था कि परमाणु हमले के दबाव को देखते हुए भारत कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। भारत ने जो सैन्य कार्रवाई की, उसकी कल्पना पाकिस्तान तो क्या विश्व ने भी नहीं की होगी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हुए नुकसान को छुपाने के लिए पाकिस्तान सरकार और सेना ने अपनी जीत का दावा करते हुए देश में जश्न मनाने शुरू कर दिए। जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। जॉन स्पेंसर जो अमेरिकी थिंक टैंक मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में शहरी युद्ध अध्ययन कक्ष के अध्यक्ष हैं, का मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर आधुनिक युद्ध के मौजूदा दौर में भारत की निर्णायक जीत है, लेकिन मेरी नजरों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी पूरी तरह थमा नहीं है। यह एक सोचा-समझा रणनीतिक विराम है, जिसे कुछ लोग संघर्ष विराम कह सकते हैं, लेकिन भारतीय सेना ने इस शब्द से जानबूझ कर दूरी बनाई। मेरे लिए, यह कोई मामूली ठहराव नहीं, बल्कि एक ऐसी सैन्य जीत के बाद का दमदार कदम है, जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत अब तक चार दिन की सटीक और शक्तिशाली कार्रवाई में, मैंने भारत को एक ऐसी जीत हासिल करते देखा, जिसने दुनिया को चौंका दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकी ठिकानों को तबाह करने, भारत की सैन्य श्रेष्ठता को साबित करने, निवारक शक्ति को दूसरा जन्म देने और एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को दुनिया के सामने लाने के अपने लक्ष्यों को न सिर्फ हासिल किया, बल्कि उन्हें कई गुना बढ़ा दिया। यह सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की ताकत का शंखनाद था। 22 अप्रैल, 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटक एक बर्बर आतंकी हमले का शिकार बने। पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा, द रेसिस्टेंस फंट ने इसकी जिम्मेदारी ली। मैंने देखा कि इस बार भारत ने न तो समय गंवाया, न ही दुनिया की परवाह की। 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू हुआ। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गूंजता बयान सुना- आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते। पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य कहीं कब्जा करना या शासन बदलना नहीं था। यह सीमित युद्ध था जिसे खास उद्देश्यों के लिए अंजाम दिया गया। जो आलोचक तर्क देते हैं कि भारत को और आगे जाना चाहिए था, वे इस मुद्दे की समझने में गलती कर रहे हैं। भारत प्रतिशोध नहीं प्रतिरोध के लिए लड़ रहा था और यह काम कर गया। भारत का संयम कमजोरी नहीं है-यह परिपक्वता है। भारत ने सिर्फ हमले का जवाब नहीं दिया। इसने रणनीतिक समीकरण को बदल दिया। ऐसे युग में जहां कई युद्ध खुलेआम कब्जों या राजनीतिक उलझन में बदल जाते हैं, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अलग है। यह अनुशासित सैन्य रणनीति का प्रदर्शन था। भारत ने एक झटके को झेला, अपना उद्देश्य परिभाषित किया और उसे पाया। यह सब एक सीमित समय सीमा के भीतर। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में बल का जबरदस्त मगर नियंत्रित इस्तेमाल हुआ, सटीक, निर्णायक व बिना हिचकिचाहट के। आधुनिक युद्ध में इस तरह की स्पष्टता दुर्लभ है। ये चार गहरे सामरिक प्रभाव दिखे: एक नई लकीर खींची गई और उसे लागू किया गया। यह स्पष्ट कर दिया गया कि पाकिस्तानी धरती से होने वाले आतंकी हमलों का अब सैन्य बल से जवाब दिया जाएगा। यह कोई धमकी नहीं, यह एक मिसाल है। भारत ने पाकिस्तान में किसी भी लक्ष्य पर हमले की क्षमता दिखाई। इसमें आतंकी स्थल, ड्रोन समन्वय केन्द्र यहां तक कि एयरबेस भी हैं। इस बीच, पाकिस्तान भारत में एक भी सुरक्षित क्षेत्र में घुसने में असमर्थ था। यह बराबरी नहीं, बहुत बड़ी श्रेष्ठता है। भारत ने जोरदार तरीके से जवाबी कार्रवाई की, लेकिन पूर्ण युद्ध से पहले ही रुक गया। नियंत्रित वृद्धि ने एक स्पष्ट निवारक संकेत दिया कि भारत जवाब देगा, और यह गति को नियंत्रित भी करता है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग किए बिना इस संकट को संभाला। इसने संप्रभु साधनों का उपयोग करते हुए संप्रभु शर्तों पर सिद्धांत लागू किया। भारत ने बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के अपनी संप्रभुता का परचम लहराया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर मिली सफलता और पाकिस्तान के झूठ को विश्व को अवगत कराने के लिए भारत सरकार ने बहुदलीय टीम बनाई है जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर तथ्यों सहित स्थिति को स्पष्ट कर पाकिस्तान को बेनकाब करेगी। बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखेगा। हर प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद, प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि छह से सात सांसदों वाला प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल करीब चार से पांच देशों का दौरा कर सकता है। प्रतिनिधिमंडलों का दौरा 23-24 मई से 10 दिनों का हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सांसद शशि थरूर अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जबकि भाजपा के रविशंकर प्रसाद नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया जाने की उम्मीद है। एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाला दल ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र की यात्रा करेगी। जदयू से संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलयेशिया और इंडोनेशिया (सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश) का दौरा करने की संभावना है। भाजपा के बैजयंत पांडा वाला के नेतृत्व में दल ब्रिटेन, फांस समेत पश्चिमी यूरोपीय देशों की यात्रा करेगा। पांडा के दल में असदुद्दीन ओवैसी और निशिकांत दुबे भी होंगे। डीएमके से कनिमोझी का दल रूस और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों का दौरा करेगा। शिवसेना से श्रीकांत एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला दल कुछ खाड़ी और अफ्रीकी देशों का दौरा कर सकता है।
भारत सरकार का उपरोक्त कदम जहां पाकिस्तान को बेनकाब करेगा वहीं भारत आतंकवाद और आतंकियों के आकाओं के प्रति उठाए कदमों और दृष्टिकोण को भी विश्व के सामने रखेगा। कूटनीतिक दृष्टि से यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है, जिसका स्वागत होना चाहिए, क्योंकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जो भ्रम व भ्रांतियां पाकिस्तान फैला रहा है, यह बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल दूर करेगा।

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