क्या विश्वास लायक है पाकिस्तान ?

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संपादकीय { गहरी खोज }: पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 निर्दोष हिन्दू पर्यटकों की आतंकियों द्वारा की गई हत्याओं के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत शुरू हुआ संघर्ष 10 मई शाम को दोनों तरफ से युद्ध विराम की घोषणा के बाद थम गया लेकिन 4 घंटे के बाद जिस तरह पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं पर गोलीबारी फिर शुरू हो गई उसके साथ ही सारे देश में एक बार फिर यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या पाकिस्तान पर विश्वास किया जा सकता है?
भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वीपी मलिक और पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे ने सोशल मीडिया पर जो लिखा उससे भी युद्ध विराम को लेकर प्रश्न चिन्ह ही है।
सीजफायर के ऐलान के बाद पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक ने सोशन मीडिया पर लिखा- 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयावह पाकिस्तानी आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य और असैन्य कार्रवाईयां कीं, लेकिन इनसे कोई राजनीतिक या रणनीतिक लाभमिला भी या नहीं- यह सवाल हमने भविष्य के इतिहास पर छोड़ दिया है।
जनरल मलिक 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सेनाध्यक्ष रहे थे। तब भारत ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी।
पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे ने भी सोशल मीडिया पर लिखा-समुद्र और आकाश में सैन्य कार्रवाई का रुकना एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि हम हर बार किसी हमले के बाद ही जवाब दें और आतंकवाद के कारण जान गंवाते रहें यह तरीका अब नहीं चलेगा। यह तीसरी बार हुआ है, आगे अब कोई और मौका नहीं मिलेगा। जनरल नरवणे दिसंबर 2019 से अप्रैल 2022 तक सेनाध्यक्ष रहे। वह चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए जाने जाते हैं।
राजनीतिक विचारक व लेखक ब्रह्मा चेलानी ने युद्ध विराम पर प्रश्न उठाते हुए कहा है कि जीत को हार में बदल देना भारतीय राजनीति की पुरानी परंपरा रही है।
1948: भारत जम्मू- कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में ले जाता है। सेना जीत की कगार पर थी, पर भारत युद्धविराम पर सहमत हो जाता है।
1954: बिना किसी लेन-देन के भारत तिब्बत में अपने अतिरिक्त क्षेत्रीय अधिकार छोड़ देता है और चीन तिब्बत क्षेत्र को मान्यता देता है।
1960: भारत संधि कर सिंधु बेसिन के 80 प्रतिशत पानी को पाकिस्तान के लिए आरक्षित कर देता है।
1966: भारत 1965 में युद्ध शुरू करने वाले पाक को रणनीतिक रूप से अहम हाजी पीर वापस लौटा देता है। यहीं बाद में भारत में आतंकियों की घुसपैठ के लिए लांचपैड बन जाता है।
1972: भारत को 1971 के युद्ध में बढ़त मिली। इसके बाद शिमला समझौते में बातचीत की मेज पर बिना किसी ठोस बदले के जीते क्षेत्र को पाक को सौंपा।
2021 : चीन 2020 में लद्दाख में चुपचाप घुसपैठ करता है। भारत रणनीतिक रूप से अहम कैलाश हाइट्स खाली कर देता है। लद्दाख के कुछ इलाकों में चीन के तय किए गए बफर जोन मान लेता है।
2025 : भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करता है, लेकिन पांचवें दिन बाद बिना कोई स्पष्ट लक्ष्य हासिल किए इसे रोक देता है।
युद्ध विराम को लेकर जनसाधारण से लेकर सेना अधिकारियों के एक वर्ग में निराशा पैदा हुई है। इस वर्ग का मानना है कि अतीत में भारत ने राजनीतिक स्तर पर जो गलतियां की उसका खमियाजा आज भुगत रहे हैं। कांग्रेसी नेताओं ने इंदिरा गांधी द्वारा किए 1971 के युद्ध को याद कर अपने भाव प्रकट किए हैं, लेकिन कांग्रेस के यह नेता भूल रहे हैं कि 1972 में हुए शिमला समझौते में भारत जीती हुई बाजी एक प्रकार से हार गया था।
आज की चिंता का कारण यही शिमला समझौता ही है। भारत की सेना जिस प्रकार दुश्मन देश पर हावी हो रही थी उसको देखते हुए लगता था कि भारत इस स्थिति का राजनीतिक व रणनीतिक लाभ लेगा लेकिन अचानक युद्ध विराम की घोषणा के साथ स्थिति बदल सी गई है।
अतीत की तरह अगर भारत फिर पाकिस्तान पर विश्वास कर पाकिस्तान के प्रति लचीला रुख अपनाता है, तो इसी को लेकर सेना अधिकारी तक चिंतित है। क्योंकि पाकिस्तान ने अतीत में जो कुछ किया है उसको देखते हुए यही प्रश्न उठता है कि क्या वह विश्वास करने लायक है पाकिस्तान? यह प्रश्न उत्तर मांग रहा है।

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