क्यों नवजात शिशु के लिए मां का दूध है बेस्ट, जानें ब्रेस्टफीडिंग के फायदे

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: मां का दूध नवजात शिशु के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। फॉर्मूला की तुलना में, स्तन के दूध में मौजूद पोषक तत्व आपके बच्चे के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। जब बच्चा जन्म लेता है तब से लेकर 6 महीने तक केवल मां का दूध ही बच्चे के लिए आहार की पूर्ति का जरिया होता है। ये नवजात शिशु के लिए अमृत के समान होता है और इसे लिक्किड गोल्ड भी कहा जाता है। इसमें कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं जैसे प्रोटीन, जिंक, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस जो बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इसलिए बच्चे की ग्रोथ के लिए मां का दूध बेस्ट होता है। स्तनपान बच्चे के स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के विपरीत, 6 महीने से कम उम्र के आधे से भी कम शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है।
मां का दूध बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। इसलिए डॉक्टर्स भी नवजात शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने की ही सलाह देते हैं। तो चलिए जानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग के क्या फायदे होते हैं और कैसे ये बच्चों के विकास में मदद करता है।
ब्रेस्टफीडिंग के फायदे क्या हैं
नवजात शिशु की ग्रोथ में मदद करता है
नवजात शिशु के लिए मां का दूध किसी अमृत से कम नहीं होता है। इसके कई फायदे हैं। इसमें कई पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंजाइम होते हैं जो बच्चे की सेहत को दुरुस्त रखने के साथ ही ग्रोथ करने में भी मदद करते हैं।
इम्युनिटी को बूस्ट करता है
पोषक तत्वों से भरपूर मां का दूध बच्चे की इम्युनिटी को बूस्ट करता है। जिससे बच्चें को गंभीर बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। नवजात शिशु को निमोनिया और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में मां का दूध दवा की तरह काम करता है।
डाइजेशन में सुधार
ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशु का पाचन तंत्र स्वस्थ्य रहता है, क्योंकि मां के दूध में कुछ एंजाइम होते हैं जो नवजात के डाइजेशन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं जिससे बच्चों को कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है।
आइक्यू लेवल को बढ़ाता है
मां के दूध में फैटी एसिड होते हैं जो नर्व टिश्यू के बेहतर विकास में मदद करते हैं। जो बच्चों के आइक्यू लेवल को बढ़ाने में हेल्प करता है। इसी तरह उनका हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।