महिलाओं में किडनी इंफेक्शन के कौन से लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं, एक्सपर्ट से जानें

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: देश में लाखों लोग किडनी की बीमारी से परेशान है। इनमें 40 साल से कम आयु वालों की एक बड़ी संख्या है। किडनी रोग से पीड़ित महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। महिलाओं में किडनी की समस्या होने पर कुछ पुरुषों की तुलना में समान लक्षण ही उभरते हैं। महिलाओं के लिए किडनी की बीमारी एक बड़ी समस्या है। महिलाओं में किडनी की बीमारी के लक्षणों को पहचान करना जरूरी है। अक्सर महिलाएं किडनी इंफेक्शन को नजरअंदाज करती हैं, जिसकेकारण समस्या गंभीर हो जाती है।

किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों के बाहर निकालने और शरीर में मौजूद अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का काम करती है। शरीर में होने वाले कुछ बदलाव किडनी की सेहत को प्रभावित करते हैं। महिलाओं में गर्भावस्था किडनी को प्रभावित करने का एक बड़ा कारण है। हार्मोनल बदलाव के कारण कई बार किडनी पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा महिलाओं में किडनी के रोग के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। शुुरु में यह धीमे होते हैं, लेकिन समय के साथ बढ़ते जाते हैं।

क्या होते हैं महिलाओं में किडनी इंफेक्शन के लक्षण
महिलाओं में किडनी इन्फेक्शन के लक्षण पुरुषों की तुलना में थोड़े अलग हो सकते हैं। इन्फेक्शन के कारण पेल्विक एरिया में दर्द हो सकता है, जो निचले पेट और पीठ के निचले हिस्से में महसूस हो सकता है ।किडनी इन्फेक्शन के कारण प्राइवेट पार्ट से सफ़ेद डिस्चार्ज आ सकता है। पीरियड्स समय पर न आना भी इसका एक लक्षण है। लेकिन महिलाओं में यह लक्षण कुछ धीमे होते हैं।

महिलाओं में यूरिन पैटर्न में बदलाव होना। हाथ, पैर, टखने या चेहरे पर सूजन आना, थकान और कमजोरी महसूस होना, सांस लेने में परेशानी होना, हाई ब्लड प्रेशर, उल्टी की शिकायत, भूख न लगना, त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना, मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द होना, जोड़ों में दर्द महसूस होना और याददाश्त से संबंधित समस्या होना। किडनी इन्फेक्शन के लक्षण हैं। इन लक्षणों के उभरने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

क्या होता है इलाज
अगर किडनी की हल्की बीमारी है तो दवाओं से ही काम चल जाता है, लेकिनकिडनी का गंभीर रोग होने पर शुरु में डॉक्टर डायलिसिस की सलाह देते है। बाद में अंतिम विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट ही होता है। जरूरी है कि समस्या की पहचान समय से करके उसका इलाज शुरु किया जाए। शुरुआती लक्षण उभरने पर ही उन्हें नजरअंदाज न करके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जिससे समस्या को बढ़ने से रोका जा सके। लक्षण उभरने पर जांच करवानी चाहिए और इलाज शुरु कर देना चाहिए।

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