मोहिनी एकादशी पर इस पूजा विधि से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, जान लें शुभ मुहूर्त से लेकर नियम तक सब कुछ

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धर्म { गहरी खोज } : मोहिन एकादशी व्रत जगत के पहलनहार भगवान विष्णु को समर्पित हैं। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अमृत बांटा था, इसलिए यह तिथि विशेष रूप से विष्णु भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होती है। मोहिनी एकादशी स्वयं भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी तिथियों में से एक है। मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण संकल्प के साथ करने से आपकी जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें और सूर्यदेव को जल अर्घ्य दे। इस बाद भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। उसके बाद एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर उसपर पीले वस्त्र अर्पित कर चंदन, अक्षत, फूल, तुलसी दल, दीपक, धूप और नैवेद्य चढ़ाकर पूजन करें। फिर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है।

मोहिनी एकादशी पूजा मंत्र

1.ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2.ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3.ॐ विष्णवे नम:
4.ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि । ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।

मोहिनी एकादशी पूजा आरती
श्री विष्णु जी की आरती: ॐ जय जगदीश हरे ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय॥

मोहिनी एकादशी व्रत नियम

मोहिनी एकादशी के दिन व्रत का सभी नियमों का पालन करने से व्रत संपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत में चंदन का तिलक लगाना चाहिए और पूजा में तुलसी पत्र का अर्पित करने चाहिए। भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए मोहिनी एकादशी पर पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता हैं। वहीं इस दिन पूजा के बाद सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। एकादशी के दिन तुलसी पत्र का प्रयोग जरूर करें, लेकिन तुलसी को स्पर्श करने और तोड़ने से बचें। साथ ही इस दिन तुलसी में जल चढना भी वर्जित होता है।

मोहिनी एकादशी पारण का समय

पंचांग के अनुसार, मोहिनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 9 मई 2025 यानी द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।

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