सुप्रीम कोर्ट में याचिका: पीएम को अजमेर शरीफ दरगाह में ‘चादर’ अर्पित करने से रोके जाने की मांग
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अजमेर शरीफ दरगाह में औपचारिक ‘चादर’ अर्पित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है। यह मामला मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। पीठ ने कहा, “आज कोई सूचीकरण नहीं।” कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं जितेंद्र सिंह और अन्य की ओर से पेश वकील बरण सिन्हा से कहा कि वे रजिस्ट्री से संपर्क करें। याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा मुईनुद्दीन चिश्ती के अजमेर दरगाह में चादर अर्पित करने की प्रथा, जिसे 1947 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था और तब से लगातार जारी है, उसका कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐतिहासिक अभिलेख मुईनुद्दीन चिश्ती को विदेशी आक्रमणों से जोड़ते हैं जिन्होंने दिल्ली और अजमेर पर विजय प्राप्त की, जिससे स्थानीय जनता का बड़े पैमाने पर अधीनकरण और धर्म परिवर्तन हुआ—जो कथित तौर पर भारत की संप्रभुता, गरिमा और सभ्यतात्मक मूल्यों के खिलाफ है।
